बीते सालों में भारत के 6 पत्रकारों की हत्या उनके काम के कारण हुई है
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो। संवादाता सहयोगी। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स या रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए (आरएसएफ़) दुनिया की जानी-मानी संस्था है, यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता की स्वतंत्रता की स्थिति पर सालाना रिपोर्ट जारी करती है. विज्ञापन भारत पिछले साल के मुक़ाबले दो पायदान नीचे गिरा है, भारत 138वें नंबर से खिसककर 140वें स्थान पर आ गया है, 2017 में भारत 136वें स्थान पर था यानी यह लगातार हो रही गिरावट है. रिपोर्ट बताती है कि 2018 में भारत में कम-से-कम छह पत्रकार अपना काम करने की वजह से मारे गए. पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं. आरएसएफ़ का निष्कर्ष है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक चुनाव से पहले पत्रकारों के ख़िलाफ़ बहुत आक्रामकता दिखा रहे हैं. हिंदुत्व के समर्थक राष्ट्रीय बहसों से उन सभी विचारों को मिटा देना चाहते हैं जिन्हें वे राष्ट्र विरोधी मानते हैं." पत्रकारों की आवाज़ दबाए जाने के बारे में रिपोर्ट कहती है, "सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, कुछ मामलों में तो राजद्रोह का केस दर्ज किय...