नेशनल हॉकी प्लेयर दर-दर कि ठोकरें खानें को मज़बूर, लगाती है मोमोज़ कि रेहड़ी
हिमाचल क्राइम न्यूज़
हमीरपुर। निस
वे मछली कॉर्नर चलाते थे। पिता के बीमार होने पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी नेहा और उनकी छोटी बहन पर आ गई। छोटी बहन निकिता बीए कर रही है। भाई अंकुश बाल स्कूल हमीरपुर में पढ़ रहा है। मंडी जिले के कोटली के रहने वाले इस परिवार के पास जमीन भी नहीं है। इस वजह से नेहा झुग्गी-झोंपड़ी में परिवार के चार अन्य सदस्यों के साथ रह रही हैं। बाड़े में एक बकरी और मुर्गी है।
कुछ समय पहले ही उन्हें नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर दस के पास सरकार ने चार मरले जमीन दी थी। नेहा की मां निर्मला देवी ने कहा कि अधिकारियों का तो हमें पूरा सहयोग मिल रहा है लेकिन बेटी को नौकरी न मिलने से उनकी विपदा दोगुना हो गई है। इतना कहते-कहते नेहा की मां की आंखों में आंसू आ गए। रुंधे गले से उन्होंने सरकार से बेटी के लिए नौकरी की मांग की। निर्मला का कहना है कि कमेटी की तरफ से घर के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से पैसे दिलाए जाने की बात कही गई है, लेकिन अभी तक पैसे का प्रबंध नहीं हो पाया है। उन्होंने उधार लेकर मकान का निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन अब यह काम भी पति के बीमार होने के बाद अधर में लटक गया है।
कभी किसी टीम से खेलने के लिए नेहा को पैसे मिल जाते हैं। एक मैच खेलने के उन्हें 1500 रुपये मिल जाते हैं। इन पैसों को पिता के इलाज और परिवार के पालन पोषण पर ही खर्च करती हैं।
नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी किशोरी लाल ठाकुर ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस परिवार को घर निर्माण के लिए निदेशालय को प्रपोजल भेजी गई है। उम्मीद है जल्द मंजूरी मिलेगी।
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