हिमाचल में चुनाव के वक्त हर बार बढ़ रही एक्साइज एक्ट में दर्ज मामलों की संख्या
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। ब्यूरो
देश में 18वीं लोकसभा सहित कई राज्यों में विधानसभा की खाली सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है. 16 मार्च को लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के साथ सभी राज्यों में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई हैं. ऐसे में अब नई योजनाओं घोषणा सहित वित्तीय मंजूरी नहीं दी जा सकती है. वहीं, राजनीतिक दलों को भी आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग के ओर से निर्धारित नियमों और कायदों की पालना करनी पड़ती है. चुनाव के दौरान राजनीतिक दल मतदाताओं को प्रभावित करने पैसों और शराब सहित कई तरह के प्रलोभन नहीं दे सकते हैं. ऐसा करने पर नियमों में कड़ी सजा का प्रावधान हैं, लेकिन इतनी सख्ती के बाद भी छोटे पहाड़ी राज्यों में चुनाव के दौरान खूब जाम छलकते हैं. इसका खुलासा चुनाव संबंधी जारी आंकड़ों में हुआ है.
हर बार बढ़ रहे केस
हिमाचल में चुनाव के दौरान शराब का खूब दौर चलता है. मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रदेश में शराब बांटी जाती है. इस बात का खुलासा चुनाव संबंधी जारी आंकड़ों में हुआ हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए निर्वाचन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में चुनाव के दौरान हर बार एक्साइज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों का आंकड़ा बढ़ रहा है. इसके तहत साल 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के दौरान एक्साइज एक्ट के तहत 176 मामले दर्ज हुए थे. इसके तीन साल बाद ही वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में एक्साइज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या बढ़कर 337 हो गई. इसी तरह से दो साल बाद 2019 में 17 वीं लोकसभा चुनाव में एक्साइज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या 734 तक पहुंच गई. हालांकि वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक्साइज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामले घटे हैं. इस दौरान विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर में एक्साइज एक्ट के तहत 651 मामले दर्ज किए गए.
आम दिनों में ठेकों से भी खूब बिकती है शराब: हिमाचल में ठेकों से भी आम दिनों में खूब शराब बिकती है. बजट सेशन में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में दी गई लिखित जानकारी के मुताबिक 10 महीनों में 9 करोड़ से अधिक शराब बोतलों की बिक्री हुई. जिससे सरकार ने शराब की बोतल पर मिल्क सेस लगाने से 90,77,99,232 राजस्व प्राप्त हुआ. हिमाचल में प्रति बोतल 10 रुपये मिल्क सेस लिया जाता है. शराब से होने वाली इस कमाई का उपयोग दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक शराब की बोतल पर लगाए गए मिल्क सेस से सरकार को अधिक 16,52,65,533 का राजस्व कांगड़ा जिला से प्राप्त हुआ.
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