मोदी मैजिक के सहारे क्यों है BJP? इन बड़े मुद्दों पर कांग्रेस-AAP घेरने को तैयार
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। नीरज कपूर
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में नई-पुरानी पेंशन स्कीम, सेव उत्पादन में खर्च, महंगाई, भाजपा का शासन, मुफ्त बिजली, महिलाओं को भत्ता, गोबर खरीद समेत कई मुद्दे अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में बीते 3 दशक से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस बीच सत्ता का खेल चल रहा है। हालांकि, इस बार भाजपा यह चक्र तोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। लेकिन सियासी गतिविधियों के लिहाज से पहाड़ी राज्य की जयराम ठाकुर सरकार चुनावी मुद्दों से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भरोसा करती नजर आ रही है।
पीएम मोदी और केंद्र का सहारा
उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया के दौरान भाजपा ने 11 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। कहा जा रहा है कि सत्ता विरोधी लहर से निपटने कि लिए पार्टी ने ऐसा किया। हालांकि, शायद यह काफी ना हो। खबरें हैं कि पार्टी शासन से जुड़े कई मुद्दों पर चुनौतियों का सामना कर रही है। पार्टी पर खराब शासन के आरोप लग रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते पांच सालों में 6 मुख्य सचिव बदले जा चुके हैं। कहा जा रहा है कि सरकार की कई पहलें अदालतों की जांच में नहीं टिक सके। ड्राफ्ट शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 पर भी NGT ने रोक लगा दी थी।
क्या हो सकते हैं चुनावी मुद्दे
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में नई-पुरानी पेंशन स्कीम, सेव उत्पादन में खर्च, महंगाई, भाजपा का शासन, मुफ्त बिजली, महिलाओं को भत्ता, गोबर खरीद समेत कई मुद्दे अहम भूमिका निभा सकते हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राज्य में सेव आंदोलन तीन दशक के बाद फिर बड़ा मुद्दा साबित होगा। बीते कुछ महीनों से सेव पैदा करने वाले कार्टन पर जीएसटी में इजाफा, डिब्बे के अंदर इस्तेमाल होने वाले ट्रे की बढ़ती कीमतों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इनके चलते उत्पादन खर्च बढ़ गया है।
घोषणाओं का दौर जारी
चुनावी माहौल बनते ही पीएम मोदी और सीएम ठाकुर हिमाचल प्रदेश में जुट गए थे। पीएम मोदी लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं। वह, अक्टूबर में दो बार राज्य में पहुंचे और कई विकास परियोजनाओं का ऐलान किया।
इधर, सीएम भी हालिया जनसभाओं में मुख्यमंत्री गृहिणी योजना, मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना, नारी को नमन योजना के बारे में जोर देकर बात कर रहे हैं। पीएम भी राज्यों में 'डबल इंजन सरकार' की जरूरत की बात कहते रहे हैं। एक साक्षात्कार के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा था कि राज्य और केंद्र सरकार की अलग-अलग नीतियों के लाभार्थी जरूरी वोट बैंक होंगे।
कांग्रेस-आप सक्रिय
एक ओर कांग्रेस ने सितंबर में ही घोषणापत्र जारी कर दिया था। इसकी 10 चुनावी गारंटी में मुफ्त बिजली, 18-60 आयुवर्ग की महिलाओं को 1500 रुपये का भत्ता, पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली, 2 रुपये प्रति किलो गाय के गोबर की खरीदी की बात शामिल थी। वहीं, आप हिमाचल में सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना की बहाली की बात कर रहे हैं। पार्टी ने हाल ही में पंजाब में भी इसी तरह की घोषणा की है।
आंकड़ों के लिहाज से भी अहम है चुनाव
साल 2017 में राज्य की कई सीटों पर करीबी मुकाबला रहा था। आंकड़े बताते हैं कि 68 में से 20 सीटों पर जीत का अंतर 3000 हजार वोट से भी कम था। जबकि, 6 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत का अंतर 1 हजार मतों से कम था। हालांकि, तब सियासी रण में दो बड़े प्रतिद्वंदी यानी भाजपा और कांग्रेस आमने सामने थे। इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री ने भी मुकाबला रोचक कर दिया है।
जीत के बाद भाजपा या कांग्रेस को बहुमत कि पड़ सकती है मार
एक पीएम मोदी कि लोकप्रियता है तो दूसरी तरफ जयराम से नाराज जनता को ओपीएस, बेरोज़गारी, महंगाई आदि जैसे मुद्दों पर आक्रोश है। मुख्य संपादक संजय आहलुवालिया ने बताया कि ये चुनाव काफी हाई वोल्टेज होने जा रहा है। जिस तरफ दोनों ही खेमों के बागी नेताओं में चुनाव लड़ने कि होड़ है तो दूसरी तरफ जैसे देहरा में निर्दिलय प्रत्याशी होशियार सिंह का सियासी भार अन्य पार्टियों कि अपेक्षा ज्यादा है। शायद अगर आंकड़ो के हिसाब से भाजपा या कांग्रेस जीतती है तो उन्हें बहुमत पाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है।
आम आदमी पार्टी अगर 3 सीटें भी लाई तो ये बात साफ है कि वे विपक्ष में बैठेगी। कांग्रेस- भाजपा वैसे ही आपस में पुराने राजनीतिक दुश्मन है तो शायद बहुमत कि मार पड़ने से सरकार बनना बेहद मुश्किल हो सकता है।
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