युग हत्याकांड में तीनों आरोपी दोषी करार, इस दिन होगा सजा का एलान
हिमाचल क्राइम न्यूज़ || ब्यूरो शिमला || राजधानी शिमला स्थित राम बाजार के चार वर्षीय मासूम बच्चे युग के फिरौती के लिए अपहरण और उसके बाद उसकी निर्मम हत्या के मामले में जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने अहम फैसला सुना दिया है। इस मामले में तीनों आरोपियों को अदालत ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान विभिन्न धाराओं के तहत अपहरण और हत्या का दोषी करार दिया है। सजा पर दोनों पक्षों की बहस के लिए 13 अगस्त की तिथि तय की गई। संभावित है कि इसी रोज अदालत दोषी करार दिए चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा भी सुना सकती है। एक साल तक चले मामले के ट्रायल के बाद अदालत ने फैसला सुनाया है। अदालत ने इस मामले में 800 पन्नों की जजमेंट दी है। जिसमें आरोपियों को हत्या, अपहरण, बंधक बनाने, साक्ष्य मिटाने और हत्या का षड्यंत्र रचने का दोषी करार दिया है।
गौर हो कि शिमला के कारोबारी विनोद गुप्ता के मासूम बेटे युग का फिरौती के लिए 14 जून, 2014 को अपहरण हुआ। पुलिस के असफल रहने पर केस सीआईडी क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया। 20 अगस्त, 2016 को सीआईडी ने विक्रांत को गिरफ्तार किया। अपहरण के दो साल बाद 22 अगस्त, 2016 को विक्रांत की निशानदेही पर सीआईडी ने भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया। इसी दिन चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पॉल को गिरफ्तार किया। इतने दिन पेयजल टैंक में कंकाल रहा और वही पानी संबंधित इलाकों में सप्लाई भी होता रहा। 25 अक्तूबर, 2016 को सीआईडी ने जिला एवं सत्र न्यायालय में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की।
20 फरवरी, 2017 को इस अपहरण और हत्या के मामले का शुरू हुआ ट्रायल 27 फरवरी, 2018 तक चला। मामले की जांच कर रही सीआईडी द्वारा पेश चार्जशीट में शामिल किए कुल 130 गवाहों में से 105 की अदालत में गवाही हुई और सिर्फ एक गवाह मुकर गया। सोमवार दोपहर करीब 2:25 मिनट पर तीनों आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश किया और अदालत ने तीनों को दोषी करार दिए जाने का फैसला सुनाया। इस जघन्य अपराध के अदालत में चल रहे केस के फैसले का युग के माता-पिता और परिजनों सहित पूरे शहर को बेसब्री से इंतजार था, जो अब समाप्त हो गया है। अब अदालत इसमें दोषी करार दिए तीनों आरोपियों को क्या सजा सुनाती है, इस पर सबकी निगाह रहेगी।
अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे जिला न्यायवादी रणदीप सिंह परमार ने कहा कि अदालत ने तीनों आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 हत्या, 364 अपहरण करने, 347 बंधक बनाने, धारा 120 बी हत्या का षड्यंत्र रचने और धारा 201 सुबूत मिटाने की धाराओं के तहत दोषी करार दिया है। अब सजा पर 13 अगस्त को बहस होनी है, जिसमें उम्र कैद या फांसी की सजा सुनाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि न्यायालय में चले इस मामले में वह और उनकी टीम में शामिल सहायक न्यायवादी देवेंद्र चंदेल सहित सीआईडी के दो जांच अधिकारी और दो नायब कोर्ट ने मिलकर प्रयास किए।
आरोपी उसे मोबाइल पर वीडियो गेम खेलने का लालच देकर गोदाम में ले गए और वहां उसके हाथ-पांव और मुंह पर टेप बांध दी। एक पेटी में डालकर उसे गाड़ी में राम चंद्रा चौक के पास एक किराये के मकान में ले जाया गया। मासूम युग को कई यातनाएं दी गईं। नशे में आरोपी उसे बुरी तरह प्रताड़ित करते रहे। बाद में पकड़े जाने के डर से आरोपियों ने युग के गले में एक बड़ा पत्थर बांध कर नगर निगम के पानी के स्टोरेज टैंक में जिंदा फेंक दिया। हत्यारे फांसी पर लटका देने चाहिए- युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि मेरे चार साल के मासूम का अपहरण, उसे यातना दे-दे कर मारने वाले तीनों हत्यारों को फांसी की सजा भी कम है। उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए।
Editing:-Sachin Gupta
©®:-AU
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