प्राथमिक स्कूल मात्र एक कमरे में चल रहा, प्रदेश सरकार के दावे फेल
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हिमाचल क्राइम न्यूज़ || ब्यूरो सिरमौर || घरद्वार पर उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा के प्रदेश सरकार के दावे क्यारी गांव में हवाई साबित हो रहे हैं। क्यारी गांव में प्राथमिक स्कूल मात्र एक कमरे में चल रहा है। महज 20 बच्चों के बैठने की क्षमता वाले कमरे में 67 बच्चे बैठते हैं। यहां पहली से 5वी तक की कक्षाएं एक ही कमरे में लग रही हैं। यही नहीं, स्कूल के तीन स्कूल कर्मचारी और स्कूल का कार्यालय भी इसी कमरे में चल रहा है। उसपर हालात यह है कि जब भी बारिश होती है तो ढलान से बहने वाला पानी इस कमरे में घुस जाता है और बच्चों के बैठने की टाटपट्टी साहित सारा सामान गीला हो जाता है। ऐसे हालात में अध्यापक क्या पढा पाते होंगे और बच्चे क्या पढ पाते हैं इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
वीओ:- शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकारी योजनाओं को पलीता लगा रहे है और नौनिहालों के भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं। भकरास स्कूल इस कुव्यवस्था का जीवंत उदहारण है। एक कमरा, पांच कक्षाएं, तीन कर्मचारी, 67 बच्चे उसपर आॅफिर का फर्नीचर और अन्य सामान। यह सब शिलाई के दूरदराज क्यारी गांव में शिक्षा के मंदिर की सच्चाई है। एक कमरे में महज एक अध्यापक पांच कक्षाओं के 67 बच्चों के उज्जवल भविष्य का निर्माण और सरकारी दावों को सही कैसे साबित कर पाएगा। दूरदराज क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर के हालात क्या हैं, शिलाई क्षेत्र के क्यारी स्कूल के हालात देख कर इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। यहां प्राथमिक स्कूल एक ही कमरे में चल रहा है। एक ही कमरे में पांच कक्षाएं चलती है। एक ही अध्यापक पांच अलग अलग कक्षाओं को पढाता है। शिक्षा के नाम पर बच्चों का भविष्य खराब करने वाला यह मजाक पिछले एक साल से चल रहा है। न सरकार की इन बच्चों के भविश्य की चिंता है और न ही शिक्षा विभाग यहां हालात की सुध लेता है। हालात के आगे लाचार ग्रामीण अपने बच्चों का भविष्य विखरता देख रहे है और स्कूल के उद्धार के लिए सरकार की ओर ताक रहेे है। स्थानीय लोग और बच्चे कक्षाएं चलाने और स्कूल भवन बनाने के लिए शिक्षा विभाग और सरकार से बार बार मांग कर रहे हैं लेकिन कार्यवाई के नाम पर आश्वासन ही मिल रहे हैं।
बाइट:- स्थानीय ग्रामीण।
वीओ:- दरअसल दशकों पुराना क्यारी प्राथमिल स्कूल भवन विगत वर्ष जमींदोज हो गया था। लेकिन विकट भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्यारी क्षेत्र में स्कूल भवन बनाने या कक्षाएं सुचारू रूप से चलाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। शिक्षा विभाग की लापरवाही से 67 बच्चों की भविष्य पर भारी पडती नजर आ आ रही है।
Editing:-Robin Sharma
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