पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मना रहे अपना 87वां जन्मदिन
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश के छह बार के सीएम रहे वीरभद्र सिंह मंगलवार को अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं. वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को हुआ है. हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह का नाम अग्रिम पंक्ति में लिया जाता है. सूबे की सियासत की बात हो और वीरभद्र सिंह का नाम न आए, ऐसा संभव ही नहीं है.
जयराम और कई नेताओं ने भी दी बधाई
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह को उनके जन्मदिन पर मौजूदा सीएम जयराम ठाकुर, उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह, कांग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री सहित कई नेताओं ने बधाई दी और लंबी उम्र और स्वस्थ रहने की कामना की. सिंह 25 साल की उम्र में सांसद बने थे.
राजा साहब ने दिल्ली से की थी पढ़ाई
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को हुआ. वीरभद्र सिंह का जन्म शिमला जिले के सराहन में हुआ. उनके पिता का नाम राजा पदम सिंह था. उनकी शुरुआती पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल (बीसीएस) शिमला से ही हुई. बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की. वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक करियर में केवल एक ही बार चुनाव हारे हैं. देश में आपातकाल के बाद 1977 में जब कांग्रेस का देश से सफाया हो गया था, इसी दौरान वीरभद्र सिंह भी चुनाव हारे थे. वीरभद्र सिंह का संबंध राजघराने से है. वह बुशहर रियासत के राजा रहे हैं.
केंद्रीय राजनीति में वीरभद्र उपलब्धियां
वीरभद्र सिंह ने पहली बार सन 1962 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे. इसके बाद 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हें जीत नसीब हुई. 1980 में सीएम वीरभद्र सिंह ने फिर चुनावी ताल ठोकी और सांसद चुने गए. उन्हें इस दौरान राज्य मंत्री उद्योग मंत्री का प्रभार मिला था. इसके बाद वीरभद्र सिंह ने प्रदेश राजनीति की ओर रुख किया. हालांकि 2009 में वह एक बार फिर मंडी संसदीय सीट से सांसद चुने गए. इससे पहले, जब 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी, तो इसी सीट से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई थीं.
अपने बेटे विक्रमादित्य के साथ वीरभद्र सिंह.
केंद्र सरकार में दो बार रहे मंत्री
1976 और 1977 के बीच, वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के लिए उपमंत्री का राष्ट्रीय कार्यालय भी संभाला था. वह 1980 से 1983 के बीच उद्योग मंत्री रहे. मई 2009 से जनवरी 2011 तक उन्हें केंद्रीय इस्पात मंत्री का जिम्मा सौंपा गया. बाद में जून 2012 में उन्हें माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज जिम्मेदारी सौंपी गई.साल 1976 में वीरभद्र सिंह यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेंम्बली के लिए भारतीय डेलीगेशन के सदस्य भी रहे.
प्रदेश राजनीति में वीरभद्र सिंह के मुकाम
केंद्रीय राजनीति में अहम रोल अदा करने वाले वीरभद्र सिंह ने 1983 में प्रदेश राजनीति में सक्रियता बढ़ाई. सन 1983 में वह जुब्बल कोटखाई सीट से उपचुनाव जीते. इसके बाद सन 1985 के विधानसभा चुनावों में वीरभद्र सिंह ने जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र से 1990, 1993, 1998 और 2003 में विधानसभा चुनाव जीते. सन 1998 से लेकर 2003 तक वह नेता विपक्ष भी रहे. इससे पहले, 1977, 1979 और 1980 में वह प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भी रहे.
1983 में पहली बार सीएम बने
वीरभद्र सिंह अप्रैल 1983 में पहली बार सीएम बने और 1990 तक मुख्यमंत्री के पद रहे. इसके बाद 1993 और 1998 और 2003 में वह फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हुए. 2012 में वे रिकॉर्ड छठी बार हिमाचल के सीएम चुन गए. हिमाचल की राजनीति और प्रदेश के विकास में उनका अहम योगदान है. वीरभद्र सिंह 85 साल के हो गए हैं.
राजा साहब का एक बेटा और चार बेटियां
बता दें कि नवंबर 1985 में वीरभद्र सिंह ने प्रतिभा सिंह से शादी की. उनका एक बेटा और चार बेटियां हैं. हिमाचल की राजनीति और कांग्रेस को इस राज्य में स्थापित करने में सीएम वीरभद्र सिंह का अहम योगदान रहा. साल 2015 में उन पर आय से अधिक संपत्ति बनाने के आरोप लगा और सीबीआई ने उन पर केस दर्ज किया. इस मामले में उनकी पत्नी, बेटे और बेटी को भी आरोपी बनाया गया है. फिलहाल, मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
सिंह साहब 25 साल की उम्र में सांसद बने
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान वीरभद्र सिंह ने एक बड़ा खुलासा किया था. उन्होंने कहा था कि वह कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं के कहने पर वह राजनीति में आए. 15 मई 2019 को शिमला के संजौली में जनसभा में वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनका सपना था कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में प्रोफेसर बनें. लेकिन, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राजनीति में आने को कहा और इस तरह उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह 25 साल की उम्र में सांसद बने थे।
Comments
Post a Comment