जानिए भारत कि कोरोना अपडेट
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो।
मीडिया के एक वर्ग में कोविड-19 के लिए क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के अंग के तहत रेमडेसिवीर के उपयोग और देश में उसकी उपलब्धता से संबंधित खबरें आ रही हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 13 जून, 2020 को कोविड-19 के लिए एक अपडेटेड क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया गया है, जिसमें रेमडेसिवीरको टोसिलिजुमैब के ऑफ लेबल उपयोग और कान्वलेसन्ट प्लाज्मा के साथ केवल सीमित आपातकालीन उपयोग के उद्देश्यों के लिए एक "जांच चिकित्सा" के रूप में शामिल किया गया है।इस प्रोटोकॉल में इस बात का उल्लेख भी स्पष्ट रूप से किया गया है कि इन उपचारों का उपयोग सीमित उपलब्ध साक्ष्य और वर्तमान में सीमित उपलब्धता पर आधारित है। आपातकालीन उपयोग के तहत रेमडेसिवीर का इस्तेमालऐसे रोगियों पर करने पर विचार किया जा सकता है, जो माडेरट या मध्यम स्थिति में हों( जिन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया हो), लेकिन कोई निर्दिष्ट कॉन्ट्रइंडिकेशंस न हों।
इस दवा को अभी तक अमरीकी खाद्य और औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा अनुमोदित (विपणन के उद्देश्य से आकलन) नहीं किया गया है, भारत की तरह वहां भीइसका इस्तेमाल केवल एक आपातकालीन उपयोग के तहत जारी है।
देश में ऐसे वयस्क, जो संदिग्ध हैं या प्रयोगशाला में उनके कोविड-19 से पीडि़त होने की पुष्टि हो चुकी है और ऐसे बच्चे जो गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हैं, उनके लिए सीमित आपातकालीन दवाओं का उपयोग किया जाना निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं-प्रत्येक जानकार रोगी की लिखित सहमतिली जानी चाहिए, अतिरिक्त नैदानिक परीक्षणों के परिणाम प्रस्तुत किए जाने चाहिए, सभी उपचारित रोगियों का सक्रिय निगरानी डेटा प्रस्तुत किया जाना चाहिए,एक्टिव पोस्ट मार्केटिंग निगरानीसहित जोखिम प्रबंधन योजना और गंभीर प्रतिकूल प्रभावों की भी रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।इसके अतिरिक्त, आयातित खेपों के शुरुआती तीन बैचों का परीक्षण किया जाना है और उसकी रिपोर्ट केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को सौंपी जानी है।
रेमडेसिवीर के आयात और विपणन के लिए मैसर्स गिलीड ने 29 मई, 2020 को भारतीय औषधिविनियामकएजेंसीअर्थात् सीडीएससीओ को आवेदन किया था। समुचित विचार-विमर्श के बाद, 1 जून, 2020 को रोगी सुरक्षा के हित में तथा आगे का डेटा प्राप्त करने के लिए इसका आपातकालीन उपयोग करनेकी अनुमति दी गई थी।
छह भारतीय कंपनियों यथा- मैसर्स हेटेरो, मैसर्स सिप्ला, मैसर्स बीडीआर, मैसर्स जुबिलेंट, मैसर्स मायलन और डॉ रेड्डीज लैब्स ने भी भारत में इस औषधि के निर्माण और विपणन की अनुमति के लिए सीडीएससीओ को आवेदन किया है।इनमें से पांच ने मैसर्स गिलीड के साथ भी समझौता किया है।इन आवेदनों परसीडीएससीओद्वारा प्राथमिकता के आधार पर और निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।ये कंपनियां विनिर्माण सुविधाओं के निरीक्षण, डेटा के सत्यापन, स्थिरता परीक्षण, प्रोटोकॉल के अनुसार आपातकालीन प्रयोगशाला परीक्षण आदि के विभिन्न मध्यवर्ती चरणों में हैं। इसके इंजेक्टेबल फॉर्म्यूलैशन होने के कारण, जांच, पहचान, अशुद्धियों के लिए परीक्षण,बैक्टीरिया एंडोटॉक्सिन परीक्षण और स्टरिलिटीरोगी की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैंऔर कंपनियों द्वारा इस डेटा को प्रदान किए जाने की जरूरत होती है।सीडीएससीओ डेटा का इंतजार कर रहा है और इन कंपनियों को पूरा सहयोग दे रहा है। इसने पहले ही आपातकालीन प्रावधानों को लागू करकेइन कंपनियों के लिएस्थानीय नैदानिक परीक्षणों की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। सीडीएससीओ द्वारा विनियामक प्रक्रियाओं को सुगम बनाया जा रहा है और इसमें तेजी लाई जा रही है।
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