कुर्सी बचाने के लिए लगाया था इंद्रा गांधी ने आपातकाल
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो।
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि देश को 25 व 26 जून आपातकाल को हमेशा बड़ी गंभीरता से याद करते रहना चाहिए। 25 जून को आपातकाल की घोषणा हुई थी और 26 जून को पूरा देश जेलखाना बन गया था। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक पार्टी की राजशाही में बदल गया। संविधान निलंबित कर दिया गया। मूल अधिकार निलंबित कर दिए गए। जेल में बंद हम सबकी तरफ से जब न्यायालय में कहा गया कि हमारा जीने का अधिकार भगवान ने दिया है और संविधान ने भी दिया है तब सरकार की ओर से कहा गया कि जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया है।
यह भी याद रखना चाहिए कि तब कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था, न कोई भूचाल आया था और न ही बाढ़ आई थी। केवल और केवल इंदिरा गांधी द्वारा चुनाव जीतने के लिए अवैध तरीके अपनाने के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहराया था। वह प्रधानमंत्री नहीं रह सकती थीं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसलिए जेलखाना बनाया गया क्योंकि जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में समग्र क्रांति का आंदोलन सफल हो रहा था और इंदिरा गांधी की कुर्सी चली गई थी।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के योद्धा जय प्रकाश नारायण, जिन्होंने अंग्रेज की जेल को तोड़कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उनको भी जेल में बंद किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें देश का शत्रु बताया गया। यह भी याद रखना चाहिए कि 1977 का चुनाव भारत के इतिहास में एकमात्र ऐसा चुनाव है जिसे पार्टियों ने नहीं, जनता ने लड़ा। हम जेलों से निकले थे, कुछ नहीं था हमारे पास। जनता ही पार्टी बन गई और जनता का धन ही पार्टी का कोष बन गया।
शांता ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि उस समय का आंदोलन देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के विरुद्ध था क्योंकि भ्रष्टाचार सबसे बड़ा शत्रु है। यह गरीबी का सबसे बड़ा कारण है। आज भारत में लोकतंत्र की जड़ें तो पूरी तरह से मजबूत हुई हैं परंतु दुर्भाग्य से भ्रष्टाचार कहीं-कहीं अभी भी पनप रहा है। हम सबको उससे खबरदार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने उस समय के नाहन जेल के अपने साथियों को भी याद किया। उनमें से बहुत से इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं। उन्हें भी उन्होंने श्रद्धांजलि दी है।
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