शिमला में बच्चों पोलियों कि डोज़ पड़ गई कम, धरातल पर खोकले निकले दावे
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। संवाद सूत्र
ज़िला शिमला में जहां बच्चों को पोलियो की दवाई पिलाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक से बढ़कर एक दावे किए जा रहे हैं। वहीं, विभाग के दावों की पोल खुलती हुई नजर आई। रविवार को पोलियो पिलाने का पहला ही दिन था। वहीं, ठंड के बीच परिजनों में भी बच्चों को पोलियो पिलाने के लिए काफी जोश था, लेकिन पोलियो बूथ में बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स नहीं मिली। ऐसे में बच्चों को बिना पोलियो पिलाए ही वापिस घर की ओर जाना पड़ा।
यह मामला संकटमोचन व कच्चीघाटी में सामने आया। यहां बच्चे लेकर जब परिजन पोलियो बूथ पर पहुंचे तो वहां पर कर्मचारियों ने सीधे तौर पर कहा कि हमारे पास पोलियो ड्रॉप्स उपल्बध नहीं है। जो ड्रॉप्स उपल्बध थी वह बच्चों को पिला दी हैं। ऐसे में छोटे बच्चों को ठंड के बीच परिजनों को बिना पोलियो ड्रॉप्स पिलाए वापिस घर की ओर लाने पड़े. दोनों बूथ में काफी ज्यादा भीड़ लगी हुई थी।
यहां पर सवाल तो यह उठते हैं कि एक तरफ स्वास्थ्य विभाग लोगों से अपील कर रहा है कि बच्चों को पोलियों की खुराक दें, लेकिन बूथ में पोलियो ड्रॉप्स ही उपलबध नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य विभाग का यह भी कहना है कि कोरोना काल में बच्चों को पोलियो पिलाना अति आवश्यक है फिर भी विभाग की लापरवाही कहीं न कहीं सामने आ रही है। जिला शिमला में विभाग ने 60 हजार बच्चों को पोलियो की दवाई पिलाने का लक्ष्य रखा है। जगह जगह पर पोलियों बूथ स्थापित किए गए है। संकटमोचन क्षेत्र में रहने वाली मोनिका ने कहा कि उनका भाई पहले संकटमोचन तो उसके बाद चक्कर में बच्चों को पोलियो पिलाने गया था, लेकिन दोनों ही जगह पर पोलियो की दवाई नहीं मिली। यहां पर लोगों का यह भी कहना है कि जब शहरी क्षेत्र में विभाग की यह हालत है तो ग्रामीण क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी।
इस संबंध में जिला प्रोग्रामर ऑफिसर पोलियो डॉ. मनीष ने कहा कि इस बारे में मुझे मालूम नहीं है कि बच्चों को पोलियों की खुराक कम पड़ गई है। जिले में 60 हजार के करीब बच्चों को पोलियो पिलाने का लक्ष्य रखा गया था। जिन बच्चों को पोलियो नहीं पिलाई गई है। उन्हें आज घर द्वार पर पोलियो की दवाई पिलाई जाएगी। संकटमोचन व कच्चीघाटी में पोलियो की दवाई खत्म होने के बारे में मुझे ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है।
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