दियोटसिद्ध मंदिर में लाखों रुपयों का चढ़ावा सीएम रिलीफ़ फण्ड कर दिया दान

हिमाचल क्राइम न्यूज़

हमीरपुर। डेस्क

फ़ाइल फ़ोटो।

मंदिर न्यासियों के मानदेय पर लाखों रुपये बहाने के मामले में चर्चा में आए उत्तर भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट में अब एक नया वित्तीय मामला सामने आया है। मंदिर ट्रस्ट के रिकॉर्ड में सामने आया है कि हमीरपुर में पूर्व में रहे अधिकतर जिलाधीशों ने मंदिर ट्रस्ट से लाखों रुपये निकाल कर सरकार के खजाने में जमा करवाए हैं।

जिलाधीश के पास मंदिर ट्रस्ट के आयुक्त का भी कार्यभार है। ऐसे में पूर्व में कुछ जिलाधीशों ने मंदिर ट्रस्ट से लाखों रुपये निकाल कर शिमला स्थित सीएम कार्यालय जाकर चेक के माध्यम से सीएम रिलीफ फंड में देते हुए फोटो खिंचवाए हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्था एवं पूर्त विन्यास नियम 1984 के तहत मंदिरों में चढ़ावे की राशि मंदिरों पर ही खर्च करने का प्रावधान है। चढ़ावे की राशि को मंदिरों के जीर्णोद्धार, सराय, गोसदन और श्रद्धालुओं की सुविधा पर खर्च करना होता है।


लेकिन दियोटसिद्ध मंदिर में पार्किंग, दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालुओं को गुफा तक पहुंचाने के लिए लिफ्ट या एक्सलेटर की सुविधा, बीबीएन डिग्री कॉलेज चकमोह और ट्रस्ट के करोड़ों रुपये के होटल को खंडहर होने से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए। गुफा के सामने दरकती पहाड़ी से बचाव और कूड़ा संयंत्र पर भी कोई काम नहीं हुआ।


वहीं जिन न्यासियों के कंधों पर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाने और मंदिर को और अधिक भव्य बनाने का जिम्मा रहा, उनका प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। लेकिन उन्होंने ट्रस्ट से लाखों रुपये मानदेय जरूर हासिल किया। कांग्रेसी न्यासियों को मिलने वाले लाखों के मानदेय के मुद्दे पर इसलिए चुप हैं, क्योंकि जब वह सत्ता में थे तो ट्रस्ट के खजाने से उनकी भी खूब खातिरदारी हुई थी।


जिलाधीशों ने इन वर्षों में सीएम को इतनी रकम के भेंट किए चेक

वर्ष    धनराशि (सीएम रिलीफ फंड में दी)

2005    11 लाख रुपये

2008    21 लाख रुपये

2011    31 लाख रुपये

2012    51 लाख रुपये

2015    51 लाख रुपये

2016    51 लाख रुपये

2017    51 लाख रुपये

2020    5 करोड़ रुपये


मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने की उठ चुकी है मांग

विश्व हिंदू मंच के प्रांत अध्यक्ष लेखराज राणा और प्रदेश सह मंत्री पंकज भारतीय ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद सालों से यह मांग उठाता रहा है कि देशभर के हिंदू मंदिर सरकारी नियंत्रण से बाहर होने चाहिए। शक्तिपीठों में राजनीतिक हस्ताक्षेप नहीं होना चाहिए। मंदिर लोगों की आस्था के केंद्र हैं। इसलिए चढ़ावे की राशि मंदिरों के विकास, गौशाला निर्माण एवं संचालन, वैदिक विद्यालय एवं महाविद्यालयों और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार पर खर्च हो।


काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हो हिमाचली मंदिरों का विकास: महंत

बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध के महंत श्रीश्रीश्री1008 राजेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि देवभूमि हिमाचल में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर मंदिरों का विकास होना समय की मांग नहीं बल्कि जरूरत है। महंत ने कहा कि समाज में धार्मिक भाव और भावना कायम और स्थापित रखने के लिए हिमाचली प्राचीन परंपराओं व शैली को ध्यान में रखते हुए मंदिरों का विकास होना जरूरी है। देवभूमि के मंदिर देश और दुनिया में श्रद्धा व आस्था के अटूट प्रतीक हैं। प्रदेश का 80 फीसदी के करीब पर्यटन धार्मिक तीर्थाटन पर ही आधारित और निर्भर है। इस दृष्टि से भी मंदिरों का विकास जरूरी हो जाता है।




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