घाटे में डूबी हिमाचल पथ परिवहन निगम क्या महिलाओं को दे पाएगी 50 फीसदी छूट में सफर
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। निस
सरकारी सेक्टर में हिमाचल पथ परिवहन निगम जनता को यात्रा सुविधा देता है, लेकिन निरंतर घाटे से एचआरटीसी की आर्थिक गाड़ी पंचर हो रही है. सरकार ने हाल ही में परिवहन निगम को 110 करोड़ रुपए लोन की गारंटी दी है. लेकिन जिस तरह से हिमाचल पथ परिवहन निगम का घाटा है और उसके सिर पर देनदारी है इससे 110 करोड़ की रकम ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है.
प्रदेश में रेल और हवाई परिवहन की नाम मात्र सुविधा होने से सारा भार सड़क मार्ग से यातायात पर पड़ता है. सरकारी सेक्टर में हिमाचल पथ परिवहन निगम जनता को यात्रा सुविधा देता है, लेकिन निरंतर घाटे से एचआरटीसी की आर्थिक गाड़ी पंचर हो रही है. आलम यह है कि परिवहन निगम चालकों और परिचालकों को समय पर वेतन तक नहीं दे पाता. ऊपर से राज्य सरकार ने हिमाचल दिवस पर महिलाओं के लिए किराए में 25 फीसदी और छूट का ऐलान किया है. इस फैसले के लागू होने के बाद परिवहन निगम की बसों में महिलाओं को किराए में 50 फीसदी छूट हो जाएगी.
घाटे में परिवहन निगम: एचआरटीसी डेढ़ हजार करोड़ से अधिक के घाटे में है. कर्मचारियों का बकाया वेतन और ओवर टाइम की देनदारी चुकाने के लिए सरकार ने हाल ही में परिवहन निगम को 110 करोड़ रुपए लोन की गारंटी दी है. लेकिन जिस तरह से हिमाचल पथ परिवहन निगम का घाटा है और उसके सिर पर देनदारी है इससे 110 करोड़ की रकम ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है. परिवहन निगम की प्रदेश भर में मौजूद वर्कशॉप में तकनीकी कर्मचारियों की कमी है.
घाटे से पंचर हो रही एचआरटीसी की आर्थिक गाड़ी: एचआरटीसी के पास नई भर्ती करने की कोई नीयत नजर नहीं आ रही है. ऐसे में परिवहन निगम को अपनी आर्थिक गाड़ी खींचना मुश्किल हो रहा है. इस समय हिमाचल प्रदेश में परिवहन निगम जनता को 9 अलग-अलग तरह की डिस्काउंट और निशुल्क यात्रा सुविधा वाली योजनाएं उपलब्ध करवा रहा है. हिमाचल में परिवहन निगम की ग्रीन कार्ड योजना, स्मार्ट कार्ड योजना, सम्मान कार्ड योजना चल रही है. इनमें ग्रीन कार्ड योजना में 50 किमी तक के सफर में 25 प्रतिशत तक की छूट है. ग्रीन कार्ड 2 साल के लिए कार्ड बनता है और इसके लिए सिर्फ 50 रुपए चुकाने होते हैं. स्मार्ट कार्ड निगम की सुपर फास्ट और डीलक्स बसों में भी मान्य है.
स्कूली छात्रों को बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा: दो साल की वैधता वाले कार्ड की कीमत 50 रुपए है और कार्ड धारक को यात्रा करने में 10 प्रतिशत किराया कम देना होता है. सम्मान कार्ड योजना में सीनियर सिटीजन को 30 फीसदी किराया में छूट है. इसी तरह रक्षा बंधन पर हिंदू महिलाओं और ईद पर मुस्लिम महिलाओं को निशुल्क यात्रा सुविधा मिलती है. स्कूली छात्रों को बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा है. इसी तरह गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों, दिव्यांग जनों, शौर्य सम्मान विजेताओं भी निशुल्क यात्रा सुविधा है यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में निगम की आर्थिक हालत खराब है.
एचआरटीसी पर लगातार बढ़ रहा आर्थिक बोझ: यदि महिलाओं को किराये में 50 फीसद की छूट की बात करें तो इससे सरकारी आंकड़े के अनुसार निगम को सालाना 80 करोड़ का बोझ पड़ेगा, लेकिन इसी मामले पर परिवहन निगम कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति का कहना है कि सरकारी आकलन गलत है समिति के अनुसार 50 फीसदी छूट से निगम पर रोजाना 60 से 70 लाख का बोझ पड़ेगा. साल में यह आंकड़ा 240 करोड़ बनेगा और इतना आर्थिक बोझ सहन करना निगम की क्षमता से बाहर है.
एचआरटीसी के बेड़े में 3300 बसें: यदि संसाधनों की बात की जाए तो इस समय एचआरटीसी के बेड़े में 3300 बसें हैं. इनसे प्रतिमाह कमाई 70 से 75 करोड़ रुपए हो रही है. निगम के करीब 12 हजार कर्मचारियों के वेतन और साढ़े छह हजार पेंशनरों की पेंशन का खर्चा करीब 40 करोड़ रुपए मासिक है. अभी निगम करीब पंद्रह सौ करोड़ के घाटे में है. पिछले 2021-22 बजट सत्र में निगम के लिए 260 करोड़ की ग्रांट देने का ऐलान हुआ था, लेकिन 2022-23 में ऐसा नहीं हुआ. वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने अलग-अलग मदों में करीब 950 करोड़ की मदद की.
वर्कशॉप में स्टाफ की भारी कमी: प्रदेश में 300 से अधिक बसें ऐसी हैं जो 9 लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी हैं. बसों की मरम्मत करवाने के लिए पर्याप्त स्पेयर पार्ट्स नहीं है. वर्कशॉप में स्टाफ की भारी कमी बनी हुई है. इसके अलावा साढ़े तीन सौ बसें सड़कों के किनारे खड़ी है. ये तो खराब हो गई है अथवा इन्हें जंग लग रहा है. समय पर बसों की मरम्मत ना होने से रूट प्रभावित होते हैं. वहीं एक अन्य पहलू यह भी है कि एचआरटीसी की शिमला शहर में चल रही टैंपो व टैक्सी सेवा मुनाफा कमा रही है. खासकर संजौली से आईजीएमसी व लक्कड़ बाजार तक चल रही बसें, टैंपो ट्रैवलर व इलैक्ट्रिक टैक्सियां लाभ कमा रही हैं, लेकिन रियायती दरों पर यात्रा से परिवहन निगम को बहुत नुकसान हो रहा है.
पुलिस कर्मचारियों को रियायती दरों पर बस यात्रा की सुविधा: हिमाचल में पुलिस कर्मचारियों को रियायती दरों पर बस यात्रा की सुविधा है. पुलिस कर्मियों को महीने में 100 रुपए चुका कर यात्रा करने की सुविधा है. दूसरे शब्दों में कहें तो हिमाचल में 17 हजार पुलिस कर्मी प्रतिमाह 100 रुपये में यात्रा करते हैं. वहीं, राज्य के 14 लाख स्कूली छात्र निशुल्क यात्रा सुविधा के पात्र हैं.संसाधनों की कमी से प्रदेश परिवहन निगम बेहाल: हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी समिति के पदाधिकारी खेमेंद्र गुप्ता का कहना है कि संसाधनों की कमी से निगम बेहाल है. वर्कशॉप में 4690 की जगह केवल 1600 कर्मी हैं. निगम के पास कलपुर्जे खरीदने के लिए पैसे नहीं है. वहीं, परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि सरकार समय-समय पर निगम की मदद करती है और सरकार की तरफ से ग्रांट या फिर लोन की लिमिट भी बढ़ाई जाती है.
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