अनुच्छेद 370: कश्मीर पर मेडिकल जर्नल 'द लैन्सट' के संपादकीय से आईएमए नाराज़
हिमाचल क्राइम न्यूज़
प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल 'द लैन्सट' के कश्मीर को लेकर लिखे गए सम्पादकीय पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है.
इस संपादकीय के ख़िलाफ़ जवाबी पत्र लिखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य की आड़ में राजनीतिक टिप्पणी करके जर्नल ने एक चिकित्सकीय प्रकाशन होने के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है.
'द लैन्सट' ने अपने हालिया अंक के सम्पादकीय में भारत सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की कड़ी आलोचना करते हुए वहां हो रहे मानव अधिकारों के कथित हनन पर सवाल उठाए हैं.
बीबीसी से बातचीत में आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर शांतनु सेन कहते हैं, "चार लाख से भी अधिक सदस्य डॉक्टरों के साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन दुनिया का सबसे बड़ा चिकित्सकीय संगठन है. हमारा विश्वास है कि चिकित्सकीय संगठनों और पत्रिकाओं को स्वास्थ्य से सम्बंधित मुद्दों पर ही लिखना चाहिए."
क्या है मामला
अपने सम्पादकीय में द लैन्सट ने लिखा था, "कश्मीर में टेलिफ़ोन लाइनों, मोबाइल और इंटरनेट पर लगी पाबंदियों के साथ-साथ वहां लगातार जारी कर्फ़्यू स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य, उनकी सुरक्षा और उनकी नागरिक स्वतंत्रता को लेकर कई चिंताजनक सवाल खड़े करता है."
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इसके आगे लिखा गया है, "भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि कश्मीर की स्वायत्तता वापस लेने का निर्णय वहां समृद्धि लेकर आएगा. लेकिन इससे पहले कश्मीर के लोगों को वहां दशकों से जारी हिंसा से मिले ज़ख़्मों से निजात चाहिए, न कि हिंसा और अलगाववाद का एक नया दौर."
इस संपादकीय को लेकर आईएमए के अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा, "अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दे पर बहस हो सकती है. यहां जो हो रहा है, आप उससे सहमत या असहमत हो सकते हैं. लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं की यह भारत का निजी मामला है. विदेश में प्रकाशित हो रही 'द लैन्सट' पत्रिका भारत के निजी कूटनीतिक मामलों पर कोई टीका-टिप्पणी करे, यह हम बर्दाश्त नहीं करेंगे."
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HP Bureau
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