महिला कि मौत वैक्सीन से हुई या नही इसका पता रिपोर्ट आने के बाद लगेगा:जनक राज
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला।
सोमवार को पांच डॉक्टरों की टीम ने दोपहर 1:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक महिला की पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी (पोस्टमार्टम) किया है। इसकी रिपोर्ट आने में 2 से 3 हफ्ते का वक्त लगेगा। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असल कारणों का पता चल सकेगा।
महिला का शव परिजनों को सौंप दिया गया है। वहीं, वैक्सीन लगने के 23 दिन बाद मौत के मामले में आईजीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज ने सोमवार को मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर मौत का कारण गुलियन बैरी सिंड्रोम (नसों की गंभीर बीमारी) सामने आया है। महिला को 29 जनवरी को वैक्सीन लगाई गई थी। 5 फरवरी को महिला की तबीयत खराब हुई, जिसके बाद वह उपचाराधीन थीं।
महिला को आईजीएमसी लाने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था, क्योंकि उन्हें गुलियन बैरी सिंड्रोम के कारण सांस लेने में तकलीफ थी। उनके शरीर के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। इससे बाजू और टांगों में पैरालिसिस हो जाता है। इसके बढ़ने से सांस की मसल भी प्रभावित होती हैं। इसे पॉली न्यूरोपैथी भी कहा जाता है। प्रतिवर्ष इसके 10 से 12 मरीज आते हैं। हालांकि, उपचार से मरीज ठीक भी हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि हमीरपुर जिले की लंबरी पंचायत के वार्ड-दो सौड़ की प्रमिला देवी (55) की बीते रविवार सुबह आईजीएमसी शिमला में मौत हो गई थी।
जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
मामले की जांच के लिए गठित कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें महिला को किडनी, दिल और गुलियन बैरी सिंड्रोम की बीमारी बताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतिम क्षण में महिला को साइलेंट हार्ट अटैक भी आया है। स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी ने बताया कि कोविड वैक्सीन को मौत की वजह बताना तर्कसंगत नहीं है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।
पति बोला, वैक्सीन से पूर्व स्वस्थ थी पत्नी
जिला हमीरपुर की लंबरी पंचायत की आंगनबाड़ी सहायिका प्रमिला देवी के पति जसवंत सिंह ने कहा कि पत्नी को पहले कोई बीमारी नहीं थी। 29 जनवरी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटलांदर में कोरोना वैक्सीन का टीका लगाने के बाद जब वह घर पहुंची तो बुखार आना शुरू हो गया। टांगों में कमजोरी आने लगी। उसे 5 फरवरी को मेडिकल कॉलेज हमीरपुर ले आए। यहां से महिला को टांडा रेफर कर दिया गया। टांडा में पत्नी बेहोश हो गई। उसे कई दिन तक होश नहीं आया। 20 फरवरी को पेशाब की भी परेशानी शुरू हो गई। इसके चलते महिला को शिमला आईजीएमसी रेफर कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उधर, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि कोरोना वैक्सीन लगने के बाद आंगनबाड़ी सहायिका की मौत पर सरकार तत्काल प्रभाव से जांच करवाए। शुरुआती जानकारी आई है कि 29 जनवरी को वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद वैक्सीन प्रोटोकाल के तहत महिला की सुध नहीं ली गई। प्रारंभिक तौर पर इस चूक के कारण महिला की मौत से पूरे अभियान पर सवालिया निशान लग गया है। यह मामला विधानसभा में उठाया जाएगा।
सीएमओ ने सरकार को भेजी रिपोर्ट
कोरोना वैक्सीन लगने के बाद बीमार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत के मामले में जिला स्वास्थ्य विभाग हमीरपुर ने रिपोर्ट सोमवार को सरकार को भेज दी है। सीएमओ डॉ. अर्चना सोनी और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय जगोता की अगुवाई में टीम ने सीलबंद रिपोर्ट सरकार को भेजी। उन्होंने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इंकार किया है। डॉ. सोनी ने कहा कि वैक्सीन लगाने से पूर्व लैब टेस्ट का कोई नियम नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने वैक्सीन लगाने से पूर्व कोई भी बीमारी होने से इंकार किया था।
डीएमई ने महिला के इलाज का रिकॉर्ड मांगा
आईजीएमसी में चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) डॉ. रवि चंद शर्मा ने सोमवार को स्टेट एडवर्स इफेक्ट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) की बैठक की। इसमें टीकाकरण व उसके बाद महिला के बीमार होने को लेकर पूरी जानकारी एकत्र की। बैठक में उपलब्ध दस्तावेज की जांच की गई। वहीं, अधिकारियों को निर्देश दिए कि महिला के अन्य उपचार रिकॉर्ड व किसी बीमारी के पूर्व इतिहास के बारे में हमीरपुर और टांडा मेडिकल कॉलेज से भी पूछताछ कर रिकॉर्ड उपलब्ध करवाया जाए।
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