अजीब मामला: बिना लोन के दिए कुड़की के आदेश
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। न्यूज़ डेस्क
राजस्व विभाग ने दो ऐसे लोगों की जमीन कुर्क करने के फरमान विभाग ने कर दिए हैं, जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं। जिला कुल्लू के भुंतर से जुड़ा मामला सामने आने के बाद राजस्व विभाग के हाथ पांव फूलना शुरू हो गए हैं। सोमवार को सभी पार्टियों को कागजातों के साथ बंजार स्थित तहसीलदार कार्यालय में बुलाया गया है। प्रभावितों ने मामला नि:शुल्क कानूनी परामर्शदाता एवं पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मंडी बीआर कौंडल के समक्ष रखा।
अब मामला संयुक्त सचिव राजस्व विभाग के पास पहुंचा। मामले को दुरुस्त करने में सरकारी अमला जुट गया है। हुआ यूं कि एक व्यक्ति ने मंडी में एक राष्ट्रीय बैंक से करीब 3.80 करोड़ का ऋण लिया। ऋण के एवज में उसने बंजार स्थित करीब 14 बीघा जमीन गिरवी रखी। व्यक्ति ऋण चुकाने में नाकाम रहा। बैंक ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए गिरवी रखी जमीन का कुछ हिस्सा बेचने की मंजूरी कर्जदार को दे दी ताकि वह ऋण की कुछ रकम चुका दे।
कर्जदार ने बैंक से मंजूरी पत्र लेकर 14 बीघा जमीन में से कुछ हिस्सा दो लोगों को बेच दिया। इसी बीच कर्जदार को आबकारी एवं कराधान विभाग ने भी डिफाल्टर घोषित कर दिया। करीब साढ़े तीन करोड़ की जीएसटी की रिकवरी निकाल दी। पैसा न मिलने पर आबकारी एवं कराधान विभाग ने जमीन को कुर्की के लिए राजस्व विभाग को लिखा।
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बिना पड़ताल किए पूरी 14 बीघा जमीन कुर्क करने के फरमान जारी कर दिए। इसमें दो लोगों की जमीन भी शामिल है। उधर, तहसीलदार बंजार दीक्षांत ठाकुर ने कहा कि मामला उनके ध्यान में है। सोमवार को पक्षों को रिकार्ड के साथ बुलाया गया है।
बैंक का पैसा डूबना तय
नि:शुल्क कानूनी परामर्शदाता एवं पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मंडी बीआर कौंडल ने कहा कि बैंक का पैसा डूबना तय है क्योंकि कानून जीएसटी को राज्य का प्रथम चार्ज मानता है। स्पष्ट है कि बैंक की भूमिका संदेह के घेरे में है। राजस्व विभाग पूर्णतया बेलगाम है। दो ऐसे व्यक्ति जिनका न लोन से और न जीएसटी से कोई लेना देना है, की भूमि को भी कुर्क किया जा रहा है। इस आधार पर विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ सीधे फौजदारी मुकदमा बनता है।
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