हिमाचल में सीमेंट का है प्लांट, फिर भी पड़ोसी राज्यों से बढ़कर है रेट

हिमाचल क्राइम न्यूज़

शिमला। न्यूज़ डेस्क



 सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में सीमेंट के दाम में कमी होना मुमकिन नहीं है। सीमेंट कंपनियों का कहना है कि कच्चे माल और और तैयार माल ढुलाई केवल ट्रकों से ही होती है जो महंगी पड़ती है। जबकि अन्य राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूटी चंडीगढ़ में रेलमार्ग से कच्चा माल मिलता है। इस कारण सीमेंट के भाव में कमी नहीं आ सकती है। हालांकि हिमाचल में एसीसी, अल्ट्राटेक और अंबुजा कंपनियों के कारखाने होने के बावजूद पड़ोसी राज्यों से महंगा सीमेंट ही मिलेगा। इसी कारण पड़ोसी राज्यों में सीमेंट सस्ता और हिमाचल में महंगा पड़ता है। दूसरा, अगर प्रदेश सरकार खनन पर रॉयल्टी कम भी करती है तो भी कंपनियों को सस्ता सीमेंट देने पर बाध्य नहीं कर सकती। ढुलाई महंगी होने के चलते ही अन्य कंपनियां हिमाचल में सीमेंट नहीं बेच रही हैं। प्रतिस्पर्धा न होने भी एक कारण है। जो दाम कंपनियां तय करती हैं, लोग उसे चुकाने को मजबूर हैं। प्रदेश में बड़ा कोई बेंडर नहीं है। छोटे बेंडर इनपुट क्रेडिट टैक्स (आईटीसी) क्लेम नहीं कर पाते हैं। 


इस कारण उन्हें 18 फीसदी तक टैक्स भी भरना पड़ता है। हिमाचल में हर बार चुनावों के दौरान नेता सीमेंट के दाम कम के वायदे करते हैं। लेकिन सीमेंट के दाम बढ़ते दामों के साथ एक और झटका लगा है। प्रदेश में स्थापित सीमेंट फैक्ट्रियों को सिर्फ चूना और पत्थर ही प्रदेश में मिलता है। अन्य रॉ मैटीरियल ट्रकों के माध्यम से बाहरी राज्यों से लाना पड़ता है। रेल यातायात की सुविधा के बाद ही प्रदेश के लोगों को राहत मिल सकती है। वर्तमान में हिमाचल में अल्ट्राटेक सीमेंट का दाम प्रति बैग 385, एसीसी का 400,अंबुजा का 395 रुपये है। वहीं पंजाब में अल्ट्राटेक 370, एसीसी 385 और अंबुजा सीमें 375 रुपये बैग मिल रहा है। हरियाणा में अल्ट्राटेक 360, एसीसी 370 और अंबुजा सीमेंट के दाम 370 रुपये हैं। 

असिस्टेंट कमिश्नर आबकारी एवं कराधान कमल ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में सीमेंट महंगा होने का बड़ा कारण ट्रकों से ढुलाई है। अगर बाहरी कंपनियां यहां सीमेंट बेचना शुरू करेंगी तो उन्हें ट्रकों के माध्यम से यहां सीमेंट पहुंचाना होगा। इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। अन्य राज्यों में ट्रांसपोटेशन के लिए ज्यादातर ट्रेन का उपयोग किया जाता है। प्रदेश की कंपनियों को ट्रकों का खर्च उठाना पड़ता है। पूर्व उद्योग मंत्री रामलाल ठाकुर का कहना है कि जब तक प्रदेश की कंपनियों को प्रतिस्पर्धा नहीं मिलेगी, तब तक सीमेंट सस्ता होने की कोई उम्मीद नहीं है। वहीं अगर प्रदेश सरकार माइनिंग पर ली जाने वाली रॉयल्टी शुल्क को कम करती है तो इससे प्रदेश में सीमेंट सस्ता करने में सहायता मिल सकती है। उद्योग मंत्री विक्रम सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार सीमेंट के रेट कम करने को काम कर रही है लेकिन अभी कामयाबी नहीं मिली है। सरकार खनन पर रायल्टी कम नहीं करेगी। ऐसा कोई एमओयू नहीं हुआ जिससे रॉयल्टी कम करके सीमेंट के दामों में राहत दिलाई जाए। सरकार इस पर तब तक काम करेगी जब तक कोई रास्ता न निकल जाए। 



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