विपक्ष के तल्ख तेवरों को कुंद कर गतिरोध तोड़ते रहे जयराम
हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो शिमला। सहयोगी संवाददाता
हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विपक्ष के तल्ख तेवरों को कुंद कर गतिरोध तोड़ते नजर आए। विपक्ष के तीरों को रोकने के लिए भी जयराम अपने मंत्रियों के सामने ढाल बनते रहे। मानसून सत्र की 11 दिनों की कार्यवाही में सदन में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठे। हालांकि, यह सत्र जनता से ज्यादा विधायकों की अपनी चिंता के लिए भी जाना जाएगा।
सत्र के पहले दिन की शुरुआत में ही अपने विधायक को शराब प्रकरण में लपेटने के सरकार पर आरोप लगा विपक्षी कांग्रेस पूरा काम रोक चर्चा मांगती रही। प्रश्नकाल में इससे गतिरोध बना। जनता से जुडे़ कई सवालों के मंत्रियों से मौखिक जवाब नहीं आए। दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच सीआईडी को देने का एलान किया तो तीसरे दिन गतिरोध तोड़ने के लिए एसपी ऊना को ट्रेनिंग पर भेज विपक्ष शांत कर दिया गया।
सदन में मिलावट रोकने के लिए फूड कमिश्नर को नियुक्त करने, खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने, बीपीएल सूची में नए परिवारों को शामिल करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय हुए। जबरन धर्मांतरण रोकने, वकीलों का कल्याण फंड बढ़ाने के बिल पारित हुए तो अपनी पिछली सरकार के समय पारित पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट की अधिसूचना जारी न करने की चूक को भी सीएम ने बेहिचक स्वीकार कर इसे दुरुस्त करने का संशोधन विधेयक सदन में रखा।
यद्यपि आखिरी दिन विधायकों की निशुल्क यात्रा सुविधा का बिल चर्चा और निंदा का विषय बना। मगर सरकार के इस बिल को भी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस ही जायज ठहराती नजर आई। हिमाचल की 13वीं विधानसभा का शनिवार को संपन्न यह सत्र पिछले कई वर्षों में सबसे लंबा सत्र था।
ब्यूरो शिमला। सहयोगी संवाददाता
फाइल फोटो: द ट्रिब्यून |
हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विपक्ष के तल्ख तेवरों को कुंद कर गतिरोध तोड़ते नजर आए। विपक्ष के तीरों को रोकने के लिए भी जयराम अपने मंत्रियों के सामने ढाल बनते रहे। मानसून सत्र की 11 दिनों की कार्यवाही में सदन में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठे। हालांकि, यह सत्र जनता से ज्यादा विधायकों की अपनी चिंता के लिए भी जाना जाएगा।
सत्र के पहले दिन की शुरुआत में ही अपने विधायक को शराब प्रकरण में लपेटने के सरकार पर आरोप लगा विपक्षी कांग्रेस पूरा काम रोक चर्चा मांगती रही। प्रश्नकाल में इससे गतिरोध बना। जनता से जुडे़ कई सवालों के मंत्रियों से मौखिक जवाब नहीं आए। दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच सीआईडी को देने का एलान किया तो तीसरे दिन गतिरोध तोड़ने के लिए एसपी ऊना को ट्रेनिंग पर भेज विपक्ष शांत कर दिया गया।
सदन में मिलावट रोकने के लिए फूड कमिश्नर को नियुक्त करने, खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने, बीपीएल सूची में नए परिवारों को शामिल करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय हुए। जबरन धर्मांतरण रोकने, वकीलों का कल्याण फंड बढ़ाने के बिल पारित हुए तो अपनी पिछली सरकार के समय पारित पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट की अधिसूचना जारी न करने की चूक को भी सीएम ने बेहिचक स्वीकार कर इसे दुरुस्त करने का संशोधन विधेयक सदन में रखा।
यद्यपि आखिरी दिन विधायकों की निशुल्क यात्रा सुविधा का बिल चर्चा और निंदा का विषय बना। मगर सरकार के इस बिल को भी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस ही जायज ठहराती नजर आई। हिमाचल की 13वीं विधानसभा का शनिवार को संपन्न यह सत्र पिछले कई वर्षों में सबसे लंबा सत्र था।
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HP Bureau
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