चार माह का छोटा कार्यकाल, करने को बहुत कुछ: बाल्दी
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो,
न्यूज़ डैक्स
हिमाचल के नए मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी का हिमाचल से बहुत लगाव है। वीरभद्र, धूमल और जयराम सरकारों में वित्त जैसे महत्वपूर्ण महकमे देख चुके बाल्दी को महज चार महीने के लिए ही देवभूमि की नौकरशाही की कमान मिली है। मूल रूप से राजस्थान के अजमेर के रहने वाले डा. बाल्दी मानते हैं कि 34 साल से प्रशासनिक सेवाएं देते हुए वह हिमाचल के ही होकर रह गए हैं। अवसर मिला तो सेवानिवृत्ति के बाद भी यहीं जनसेवा करेंगे। अमर उजाला के मुख्य संवाददाता सुरेश शांडिल्य ने उनसे बातचीत की।
प्रश्न : प्राथमिकताएं क्या रहेंगी?
उत्तर : सरकार की नीतियां और कार्यक्रम प्रभावपूर्ण तरीके से लागू हों। दूसरा, लोगों को दफ्तर में बहुत आना पड़ता है, चक्कर लगाने पड़ते हैं, ये कम से कम हो। तीसरा, स्वच्छ प्रशासन देना।
प्रश्न : चार महीने मुख्य सचिव रहेंगे तो कैसे काम करेंगे?
उत्तर : कम समय में भी कई प्राथमिकताएं हैं। नवंबर में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट है। यह बहुत बड़ा काम है। उपचुनाव भी होने हैं। जनहित के काफी काम करने हैं।
प्रश्न : हिमाचल की बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
उत्तर : हमारे तय खर्च ज्यादा हैं और संसाधन कम। हम केंद्रीय मदद पर निर्भर हैं। शॉर्ट टर्म मेें संसाधन बढ़ाने का तरीका इन्वेस्टर मीट ही है। सरकार के खर्च कम करना बहुत मुश्किल है। यहां कर्मचारी, पेंशनरों के खर्चे बहुत हैं। हम बोलते हैं कि वाहनों पर खर्चा हो रहा है। अगर वेतन और पेंशन पर 19 हजार करोड़ रुपये खर्च है तो गाड़ियों पर महज 20 से 25 करोड़ रुपये है जो नगण्य है।
प्रश्न : आमदनी बढ़ाने का दीर्घकालिक तरीका क्या है?
उत्तर : हमारे तीन संसाधन हैं- जलविद्युत परियोजनाएं, पारदर्शितापूर्ण तरीके से खनन और वन उत्पाद। इनसे नॉन टैक्स रेवन्यू होगा। टैक्स रेवन्यू हमारे उद्योगों से आएगा, पर्यटन से आएगा। इसे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
प्रश्न : आपमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का मोह नहीं रहा, ऐसा क्यों?
उत्तर : मुझे 34 साल हो गए, मैं तो कभी भारत सरकार मेें गया ही नहीं। केवल हिमाचल मेें ही सेवाएं दीं। यहां लोग बहुत अच्छे हैं, जगह बहुत अच्छी है।
प्रश्न : यहां किस पोस्ट पर पहली नियुक्ति हुई?
उत्तर : सबसे पहले कांगड़ा में प्रोबेशनर नियुक्त हुआ। उसके बाद सहायक आयुक्त विकास झंडूता, फिर एसडीएम घुमारवीं, कांगड़ा और सोलन का डीसी रहा। मैं 1985 में हिमाचल आया था। उससे पहले आईपीएस में था, राजस्थान काडर में।
प्रश्न : तीन मुख्यमंत्रियों की गुड लिस्ट में रहे, कैसे?
उत्तर : मैंने कभी भी गुड लिस्ट में रहने के हिसाब से काम नहीं किया। यह देखा कि जनता के लिए क्या कर सकता हूं। गुड लिस्ट में रहने की ख्वाहिश में ही अधिकारी निष्पक्ष नहीं हो पाते हैं। काम करेंगे तो सब सम्मान देंगे।
प्रश्न : राजनेताओं का दबाव भी रहा होगा?
उत्तर : राजनीतिक दलों के नेता जनता से बहुत जुड़े होते हैं। आप नेताओं की बात को दबाव की तरह न लेकर जब यह मानकर चलते हैं कि यह जनता का ही काम है तो दिक्कत नहीं आती। जो सही नहीं लगा, उसके लिए साफ मना किया।
प्रश्न : आपकी दिनचर्या क्या रहती है?
उत्तर : मैं सुबह साढे़ छह बजे उठता हूं। उसके बाद 45 मिनट योग और प्राणायाम करता हूं। इसी से ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न : परिवार में कौन-कौन हैं?
उत्तर : बड़ी बेटी सुरभि और छोटी सौम्या दोनों बाहर जॉब करती हैं। पत्नी ऊमा बाल्दी सामाजिक सेवाओं से जुड़ी हैं। उनकी सकारात्मक भूमिका रहती है।
और क्या कहते हैं?
हमारी सरकार बहुत अच्छी है। हमारे मुख्यमंत्री बहुत अच्छे हैं। बिना प्रतिशोध ईमानदारी से काम करने वाली हमारी सरकार है। ऐसे में काम करने का मजा आता है।
न्यूज़ डैक्स
हिमाचल के नए मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी का हिमाचल से बहुत लगाव है। वीरभद्र, धूमल और जयराम सरकारों में वित्त जैसे महत्वपूर्ण महकमे देख चुके बाल्दी को महज चार महीने के लिए ही देवभूमि की नौकरशाही की कमान मिली है। मूल रूप से राजस्थान के अजमेर के रहने वाले डा. बाल्दी मानते हैं कि 34 साल से प्रशासनिक सेवाएं देते हुए वह हिमाचल के ही होकर रह गए हैं। अवसर मिला तो सेवानिवृत्ति के बाद भी यहीं जनसेवा करेंगे। अमर उजाला के मुख्य संवाददाता सुरेश शांडिल्य ने उनसे बातचीत की।
प्रश्न : प्राथमिकताएं क्या रहेंगी?
उत्तर : सरकार की नीतियां और कार्यक्रम प्रभावपूर्ण तरीके से लागू हों। दूसरा, लोगों को दफ्तर में बहुत आना पड़ता है, चक्कर लगाने पड़ते हैं, ये कम से कम हो। तीसरा, स्वच्छ प्रशासन देना।
प्रश्न : चार महीने मुख्य सचिव रहेंगे तो कैसे काम करेंगे?
उत्तर : कम समय में भी कई प्राथमिकताएं हैं। नवंबर में ग्लोबल इन्वेस्टर मीट है। यह बहुत बड़ा काम है। उपचुनाव भी होने हैं। जनहित के काफी काम करने हैं।
प्रश्न : हिमाचल की बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
उत्तर : हमारे तय खर्च ज्यादा हैं और संसाधन कम। हम केंद्रीय मदद पर निर्भर हैं। शॉर्ट टर्म मेें संसाधन बढ़ाने का तरीका इन्वेस्टर मीट ही है। सरकार के खर्च कम करना बहुत मुश्किल है। यहां कर्मचारी, पेंशनरों के खर्चे बहुत हैं। हम बोलते हैं कि वाहनों पर खर्चा हो रहा है। अगर वेतन और पेंशन पर 19 हजार करोड़ रुपये खर्च है तो गाड़ियों पर महज 20 से 25 करोड़ रुपये है जो नगण्य है।
प्रश्न : आमदनी बढ़ाने का दीर्घकालिक तरीका क्या है?
उत्तर : हमारे तीन संसाधन हैं- जलविद्युत परियोजनाएं, पारदर्शितापूर्ण तरीके से खनन और वन उत्पाद। इनसे नॉन टैक्स रेवन्यू होगा। टैक्स रेवन्यू हमारे उद्योगों से आएगा, पर्यटन से आएगा। इसे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
प्रश्न : आपमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का मोह नहीं रहा, ऐसा क्यों?
उत्तर : मुझे 34 साल हो गए, मैं तो कभी भारत सरकार मेें गया ही नहीं। केवल हिमाचल मेें ही सेवाएं दीं। यहां लोग बहुत अच्छे हैं, जगह बहुत अच्छी है।
प्रश्न : यहां किस पोस्ट पर पहली नियुक्ति हुई?
उत्तर : सबसे पहले कांगड़ा में प्रोबेशनर नियुक्त हुआ। उसके बाद सहायक आयुक्त विकास झंडूता, फिर एसडीएम घुमारवीं, कांगड़ा और सोलन का डीसी रहा। मैं 1985 में हिमाचल आया था। उससे पहले आईपीएस में था, राजस्थान काडर में।
प्रश्न : तीन मुख्यमंत्रियों की गुड लिस्ट में रहे, कैसे?
उत्तर : मैंने कभी भी गुड लिस्ट में रहने के हिसाब से काम नहीं किया। यह देखा कि जनता के लिए क्या कर सकता हूं। गुड लिस्ट में रहने की ख्वाहिश में ही अधिकारी निष्पक्ष नहीं हो पाते हैं। काम करेंगे तो सब सम्मान देंगे।
प्रश्न : राजनेताओं का दबाव भी रहा होगा?
उत्तर : राजनीतिक दलों के नेता जनता से बहुत जुड़े होते हैं। आप नेताओं की बात को दबाव की तरह न लेकर जब यह मानकर चलते हैं कि यह जनता का ही काम है तो दिक्कत नहीं आती। जो सही नहीं लगा, उसके लिए साफ मना किया।
प्रश्न : आपकी दिनचर्या क्या रहती है?
उत्तर : मैं सुबह साढे़ छह बजे उठता हूं। उसके बाद 45 मिनट योग और प्राणायाम करता हूं। इसी से ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न : परिवार में कौन-कौन हैं?
उत्तर : बड़ी बेटी सुरभि और छोटी सौम्या दोनों बाहर जॉब करती हैं। पत्नी ऊमा बाल्दी सामाजिक सेवाओं से जुड़ी हैं। उनकी सकारात्मक भूमिका रहती है।
और क्या कहते हैं?
हमारी सरकार बहुत अच्छी है। हमारे मुख्यमंत्री बहुत अच्छे हैं। बिना प्रतिशोध ईमानदारी से काम करने वाली हमारी सरकार है। ऐसे में काम करने का मजा आता है।
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Himachal Crime News
HP Bureau
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