अपराध की जांच में खुद जज न बनें जांच अधिकारी: यशवंत सिंह
हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो शिमला। विशाल नेगी
 किसी अपराध की जांच के दौरान जांच अधिकारी को कभी भी खुद जज बनकर किसी फैसले पर नहीं पहुंचना चाहिए। जांच अधिकारी का काम अपराध की पूरी तस्वीर को साक्ष्यों के साथ न्यायालय के सामने पेश करना है, जिसके बाद उन साक्ष्यों और जांच रिपोर्ट के आधार पर न्यायाधीश फैसला करेंगे। प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव विधि यशवंत सिंह चोगल ने यह बात पुलिस मुख्यालय में चल रही महिला अपराध की जांच करने वाले अधिकारियों की तीन दिवसीय क्षमता विकास कार्यशाला के दूसरे दिन गुरुवार को मौजूद जांच अधिकारियों से कही।
ब्यूरो शिमला। विशाल नेगी
 किसी अपराध की जांच के दौरान जांच अधिकारी को कभी भी खुद जज बनकर किसी फैसले पर नहीं पहुंचना चाहिए। जांच अधिकारी का काम अपराध की पूरी तस्वीर को साक्ष्यों के साथ न्यायालय के सामने पेश करना है, जिसके बाद उन साक्ष्यों और जांच रिपोर्ट के आधार पर न्यायाधीश फैसला करेंगे। प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव विधि यशवंत सिंह चोगल ने यह बात पुलिस मुख्यालय में चल रही महिला अपराध की जांच करने वाले अधिकारियों की तीन दिवसीय क्षमता विकास कार्यशाला के दूसरे दिन गुरुवार को मौजूद जांच अधिकारियों से कही।
कई उदाहरण देते हुए प्रमुख सचिव विधि ने कहा कि केंद्र लगातार कई तरह के अपराधों को लेकर संशोधन कर रहा है, जिन्हें पूरी तरह लागू करना जरूरी है। इससे जांच में जांच अधिकारी को काफी मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि अगर महिला से अपराध हुआ है तो उसमें अपना विवेक लगाने के साथ साथ वर्तमान कानूनी संशोधनों का ध्यान रखते हुए कार्रवाई करें।
ऐसा न हो कि दुष्कर्म पीड़िता शिकायत करे, लेकिन अगर उसके साथ जबरदस्ती होने का साक्ष्य नहीं दिख रहा तो उसके आरोप खारिज कर दिए जाए। ऐसा भी हो सकता है कि वह दबाव में रही हो या उसे ब्लैकमेल किया गया हो। आईजीएमसी के फोरेंसिक मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. पियूष कपिला ने जांच अधिकारियों को किसी अपराध के बाद की जाने वाली दस्तावेजी कार्रवाई को ध्यानपूर्वक करने पर जोर दिया। कहा कि हर मामले में विसरा सुरक्षित करना भी उचित नहीं है।
इसके अलावा फोरेंसिक रिपोर्ट पर विशेषज्ञ से स्पष्टीकरण भी मांगना चाहिए। पंजाब हरियाणा कोर्ट की अधिवक्ता रुचि सेखरी ने जांच के दौरान सामने आए सभी तथ्यों को चार्जशीट में शामिल करने पर जोर दिया। 6वीं आईआरबी की कमांडेंट शुभ्रा तिवारी हीरा ने भारत सरकार व सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का अलग-अलग उदाहरणों के जरिये महत्व बताते हुए बताया कि कैसे इन निर्देशों की मदद से लापता लोगों की तलाश की जानी चाहिए। एफएसएल के रिटायर्ड उप निदेशक डॉ. एलएस राणा ने घटनास्थल से भौतिक सुराग प्राप्त करने और फोरेंसिक जांच पर प्रकाश डाला.
Note:- हिमाचल क्राइम न्यूज़ की वेब पोर्टल पर विज्ञापन लगाने हेतु संपर्क करें 8354800009 या मेल करेंhimachalcrimenews@gmail.com
Himachal Crime News
HP Bureau
HP Bureau
Comments
Post a Comment