छठे राज्य वित्तायोग का गठन जल्द
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
केंद्र सरकार के 15वें वित्तायोग की रिपोर्ट आने के बाद अब राज्य में छठे वित्तायोग का गठन जल्द होगा। वित्त एवं योजना विभाग में इसकी तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय वित्तायोग की तरह राज्य का वित्तायोग भी रूरल और अर्बन लोकल बॉडीज के लिए एलोकेशन यानी धनाबंट तय करता है।
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गठित 5वें वित्तायोग की अवधि अब पूरी हो गई है। तब इसमें कांग्रेस नेता कुलदीप कुमार को चेयरमैन लगाया गया था। इस तरह से कैबिनेट विस्तार के साथ अब राज्य सरकार के पास किसी अनुभवी राजनेता को वित्तायोग चेयरमैन लगाने का विकल्प भी खुल रहा है। हालांकि वित्तायोग का कार्यकाल सरकारों के साथ यानी को-टर्मिनस नहीं होता पर राज्य में ये परंपरा रही है कि राज्य सरकार की हार जीत के साथ वित्तायोग चेयरमैन पद छोड़ देते हैं और फिर मुख्य सचिव को चेयरमैन का कार्यभार देना पड़ता है।
कुलदीप कुमार को सरकार पूर्व सरकार ने 21 अक्तूबर, 2013 को इस पद पर नियुक्त किया था। उनका कार्यकाल अक्तूबर, 2018 तक था। इससे पहले जब चौथे राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष दिलेराम सरकार बदलने के बाद हट गए थे तो तत्कालीन मुख्य सचिव सुदृप्तो राय को चेयरमैन बनाना पड़ा था।
राज्य वित्तायोग अपनी रिपोर्ट और सिफारिशों के जरिये यह तय करता है ग्रामीण और शहरी निकायों यानी पंचायती राज संस्थाओं और नगर परिषद एवं नगर पंचायतों को राज्य सरकार के पैसे में से कितना धन मिलना चाहिए? इनकी जरूरत क्या है? हाल ही में 15वें वित्तायोग ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पंचायती राज संस्थाओं को 429 करोड़ और शहरी निकायों को 207 करोड़ की धनराशि अनुदान के रूप में दी है।
अब राज्य सरकार के हिस्से का बजट आवंटन राज्य वित्तायोग को तय करना है। राज्य में अलग से वित्तायोग गठित करने की परंपरा 1993 के बाद शुरू हुई, जबकि भारत सरकार में ये आजादी के बाद से हैं। इसलिए केंद्र सरकार का 15वें वित्तायोग है तो हमारा अभी छठा।
केंद्र सरकार के 15वें वित्तायोग की रिपोर्ट आने के बाद अब राज्य में छठे वित्तायोग का गठन जल्द होगा। वित्त एवं योजना विभाग में इसकी तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय वित्तायोग की तरह राज्य का वित्तायोग भी रूरल और अर्बन लोकल बॉडीज के लिए एलोकेशन यानी धनाबंट तय करता है।
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गठित 5वें वित्तायोग की अवधि अब पूरी हो गई है। तब इसमें कांग्रेस नेता कुलदीप कुमार को चेयरमैन लगाया गया था। इस तरह से कैबिनेट विस्तार के साथ अब राज्य सरकार के पास किसी अनुभवी राजनेता को वित्तायोग चेयरमैन लगाने का विकल्प भी खुल रहा है। हालांकि वित्तायोग का कार्यकाल सरकारों के साथ यानी को-टर्मिनस नहीं होता पर राज्य में ये परंपरा रही है कि राज्य सरकार की हार जीत के साथ वित्तायोग चेयरमैन पद छोड़ देते हैं और फिर मुख्य सचिव को चेयरमैन का कार्यभार देना पड़ता है।
कुलदीप कुमार को सरकार पूर्व सरकार ने 21 अक्तूबर, 2013 को इस पद पर नियुक्त किया था। उनका कार्यकाल अक्तूबर, 2018 तक था। इससे पहले जब चौथे राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष दिलेराम सरकार बदलने के बाद हट गए थे तो तत्कालीन मुख्य सचिव सुदृप्तो राय को चेयरमैन बनाना पड़ा था।
राज्य वित्तायोग अपनी रिपोर्ट और सिफारिशों के जरिये यह तय करता है ग्रामीण और शहरी निकायों यानी पंचायती राज संस्थाओं और नगर परिषद एवं नगर पंचायतों को राज्य सरकार के पैसे में से कितना धन मिलना चाहिए? इनकी जरूरत क्या है? हाल ही में 15वें वित्तायोग ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पंचायती राज संस्थाओं को 429 करोड़ और शहरी निकायों को 207 करोड़ की धनराशि अनुदान के रूप में दी है।
अब राज्य सरकार के हिस्से का बजट आवंटन राज्य वित्तायोग को तय करना है। राज्य में अलग से वित्तायोग गठित करने की परंपरा 1993 के बाद शुरू हुई, जबकि भारत सरकार में ये आजादी के बाद से हैं। इसलिए केंद्र सरकार का 15वें वित्तायोग है तो हमारा अभी छठा।
वित्तायोग अध्यक्ष गठन
पहला राज्य वित्तायोग एससी नैयर 23 अप्रैल, 1994
दूसरा राज्य वित्तायोग केडी धर्माणी 5 अप्रैल, 1998
तीसरा राज्य वित्तायोग कुलदीप पठानिया 26 मई, 2005
चौथा राज्य वित्तायोग दिले राम 20 मई, 2011
पांचवां राज्य वित्तायोग कुलदीप कुमार 21 अक्तूबर, 2013
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