जयराम सरकार इस साल के बजट में रखेगी यह ध्यान, जानिए
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला। न्यूज डेस्क
हिमाचल सरकार के इस बार के बजट में खर्चों की कटौती का खास ध्यान रखा जाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर छह मार्च को बजट पेश करने जा रहे हैं।
इसमें सीएम जयराम ठाकुर का बढ़ते कर्ज और कम आमदनी से खर्च घटाने पर खास ध्यान रहेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि स्थायी और अस्थायी सरकारी कर्मचारियों के हाथ भी निराशा लग सकती है। बजट से कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग को वेतन, भत्तों और मानदेय की बढ़ोतरी की खास आस रहती है। इस बार सरकार का ध्यान इस दिशा में ज्यादा नहीं है। हर बार के बजट में सरकार आम तौर पर कर्मचारियों के एक बडे़ वर्ग का खास ध्यान रखती है। पिछली बार बजट सत्र के बाद लोकसभा चुनाव थे और विधानसभा उपचुनाव थे तो ऐसे में जयराम सरकार का दूसरा बजट कर्मचारियों के अलावा तमाम वर्गों को लुभाने वाला माना गया है। अब चूंकि चुनाव की ऐसी कोई बाध्यता आगामी ढाई-तीन साल तक नहीं है तो इस स्थिति में सरकार इस वार्षिक बजट में खर्चे घटाने की तरकीबें अपना सकती है।
बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों-पेंशनरों पर खर्च होता है। स्थायी कर्मचारियों और पेंशनरों को तो देय लाभ देने में ज्यादा समझौते नहीं होते हैं।
यह समझौते अस्थायी कर्मचारियों के मानदेय और अन्य लाभों को देने के मामले में किए जा सकते हैं। हालांकि, जिस तरह से मोदी सरकार किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुना करने की बातेें कर रही हैं, उस स्थिति में यह बजट किसानों-बागवानों पर फोकस हो सकता है। इस बजट में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की छाप भी नजर आ सकती है।
शिमला। न्यूज डेस्क
हिमाचल सरकार के इस बार के बजट में खर्चों की कटौती का खास ध्यान रखा जाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर छह मार्च को बजट पेश करने जा रहे हैं।
इसमें सीएम जयराम ठाकुर का बढ़ते कर्ज और कम आमदनी से खर्च घटाने पर खास ध्यान रहेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि स्थायी और अस्थायी सरकारी कर्मचारियों के हाथ भी निराशा लग सकती है। बजट से कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग को वेतन, भत्तों और मानदेय की बढ़ोतरी की खास आस रहती है। इस बार सरकार का ध्यान इस दिशा में ज्यादा नहीं है। हर बार के बजट में सरकार आम तौर पर कर्मचारियों के एक बडे़ वर्ग का खास ध्यान रखती है। पिछली बार बजट सत्र के बाद लोकसभा चुनाव थे और विधानसभा उपचुनाव थे तो ऐसे में जयराम सरकार का दूसरा बजट कर्मचारियों के अलावा तमाम वर्गों को लुभाने वाला माना गया है। अब चूंकि चुनाव की ऐसी कोई बाध्यता आगामी ढाई-तीन साल तक नहीं है तो इस स्थिति में सरकार इस वार्षिक बजट में खर्चे घटाने की तरकीबें अपना सकती है।
बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों-पेंशनरों पर खर्च होता है। स्थायी कर्मचारियों और पेंशनरों को तो देय लाभ देने में ज्यादा समझौते नहीं होते हैं।
यह समझौते अस्थायी कर्मचारियों के मानदेय और अन्य लाभों को देने के मामले में किए जा सकते हैं। हालांकि, जिस तरह से मोदी सरकार किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुना करने की बातेें कर रही हैं, उस स्थिति में यह बजट किसानों-बागवानों पर फोकस हो सकता है। इस बजट में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की छाप भी नजर आ सकती है।
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HP Bureau
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