सहकारिता कानून में होगा बदलाव?
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला।
मुख्यमंत्री ने सहकरिता विभाग को आगामी बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी सभाएं अधिनियम 1968 में विधि विभाग के परामर्श से 97वें सविधान संशोधन के अनुरूप अमेंडमेंट का ड्राफ्ट बिल पेश करने के निर्देश दिए हैं।97वें संविधान संशोधन की अधिसूचना वर्ष 2011 में हुई थी, जिसके द्वारा संविधान का अनुच्छेद 19-1 सी में संशोधन करके सहकारी संस्थाओं का निर्माण करना मौलिक अधिकार बनाया गया था और इसके अलावा राज्य नीति के निदेशक तत्व से संबंधित अनुच्छेद 43 बी भी जोड़ा गया, जिसमें राज्य द्वारा सहकारी सभाओं के स्वैच्छिक निर्माण, स्वतंत्र कार्य, लोकतांत्रिक प्रबंध के लिए हर प्रयास को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है। इस उद्देश्य के लिए संविधान में सहकारी सभाओं के नाम से नया अध्याय जोड़ा गया।
अनुच्छेद 243 में यह प्रावधान है कि राज्य को अपने अपने सहकरिता अधिनियमों में 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप एक वर्ष के भीतर अमेंडमेंट करना था, परंतु पिछले 9 वर्षों से हिमाचल में इस संबंध में कोई कार्रवाई नहींं हो पाई थी, जिसके कारण 97वां संविधान संशोधन प्रदेश में लागू नहीं हो पाया था। इस संबंध में सहकारिता में कार्य करने वाले अग्रणी संगठन सहकार भारती के प्रांत संगठन प्रमुख डॉ. विवेक वशिष्ठ, प्रांत उपाध्यक्ष राजेश कपिल, प्रांत संगठन समिति सदस्य विनोद शर्मा ने इस विषय में राज्य सहकारिता अधिनियम में संशोधन का मामला सरकार के समक्ष रखा। इस संदर्भ में इन्होंने विपुल भाई एम शाह बनाम गुजरात सहकारी दुग्ध सहकारी विपणन संघ में सुप्रीम कोर्ट निर्णय का हवाला भी दिया, जिसके अनुसार कोई भी राज्य सहकारिता अधिनियम जो 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप नहीं है, 12 जनवरी, 2013 के बाद वैध नहीं होगा। इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सहकारिता विभाग को राज्य सहकारिता नियम 1968 में 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप अमेंडमेंट का ड्राफ्ट बिल आगामी बजट सत्र में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सहकार भारती हिमाचल प्रदेश ने राज्य अधिनियम में संशोधन के लिए विस्तृत प्रपोजल दी है, जिसमें अधिनियम के सेक्शन 8, 11, 14 और 61 में संशोधन के बारे में उल्लेख किया गया है।
अनुच्छेद 243 में यह प्रावधान है कि राज्य को अपने अपने सहकरिता अधिनियमों में 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप एक वर्ष के भीतर अमेंडमेंट करना था, परंतु पिछले 9 वर्षों से हिमाचल में इस संबंध में कोई कार्रवाई नहींं हो पाई थी, जिसके कारण 97वां संविधान संशोधन प्रदेश में लागू नहीं हो पाया था। इस संबंध में सहकारिता में कार्य करने वाले अग्रणी संगठन सहकार भारती के प्रांत संगठन प्रमुख डॉ. विवेक वशिष्ठ, प्रांत उपाध्यक्ष राजेश कपिल, प्रांत संगठन समिति सदस्य विनोद शर्मा ने इस विषय में राज्य सहकारिता अधिनियम में संशोधन का मामला सरकार के समक्ष रखा। इस संदर्भ में इन्होंने विपुल भाई एम शाह बनाम गुजरात सहकारी दुग्ध सहकारी विपणन संघ में सुप्रीम कोर्ट निर्णय का हवाला भी दिया, जिसके अनुसार कोई भी राज्य सहकारिता अधिनियम जो 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप नहीं है, 12 जनवरी, 2013 के बाद वैध नहीं होगा। इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सहकारिता विभाग को राज्य सहकारिता नियम 1968 में 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप अमेंडमेंट का ड्राफ्ट बिल आगामी बजट सत्र में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सहकार भारती हिमाचल प्रदेश ने राज्य अधिनियम में संशोधन के लिए विस्तृत प्रपोजल दी है, जिसमें अधिनियम के सेक्शन 8, 11, 14 और 61 में संशोधन के बारे में उल्लेख किया गया है।
ये बदलाव होगा
राज्य सहकारिता अधिनयम में बदलाव कर बाद सहकारी सभाओं का पंजीयन आसान हो जाएगा तथा यह अधिक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक स्वरूप प्राप्त करेंगी। प्रत्येक वर्ष सहकारिता विभाग द्वारा ऑडिटर्स के अधिसूचित पैनल में से किसी के द्वारा सभा के ऑडिट का प्रावधान होगा। इसके लिए सहकार भारती के प्रांत पदाधिकारियों राकेश चोपड़ा, राजेंद्र जगोता, सीमा महंत, प्रोमिला चंदेल, उर्मिल भूरिया, यशपाल रनौत, देवदत्त शर्मा, कीर्ति नरेश, संजय वर्मा, आशीष शर्मा, सुनील कुमार, अनिल बनखंडी, संजय पालमपुर, राजकृष्ण, विजय मलांगड़, विदेश निगम, शीतल भारद्वाज, विक्रम कपूर और अमर भारद्वाज ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, सहकारिता मंत्री डॉ. राजीव सहजल आदि का धन्यवाद किया है।
Note:- हिमाचल क्राइम न्यूज़ की वेब पोर्टल पर विज्ञापन लगाने हेतु संपर्क करें 8354800009 या मेल करेंhimachalcrimenews@gmail.com
Himachal Crime News
HP Bureau
HP Bureau
Comments
Post a Comment