Mandi: जानिए मैट्रेस तकनीकी के बारे में, जिससे CM जयराम ठाकुर के इलाके में पक्की हो रही सड़क!
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
मंडी।
हिमाचल प्रदेश में पहली बार सड़क को पक्का करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सराज विधानसभा क्षेत्र में इसका ट्रायल हुआ है. सड़क पर टारिंग मैट्रस तकनीक बिछाई जा रही हैं.
सराज में 7 करोड़ की मशीन इसके लिए जर्मनी से मंगवाई गई हैं. इस तकनीक से सड़क पानी व बर्फ से खराब नहीं होगी और यहां पर इसके सफल होने पर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में इसे अपनाया जाएगा.
दरअसल, सराज में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर लंबाथाच-शैटाधार-थलौट सड़क को पक्का करने का काम चल रहा है. चिउणी से थाची 28 किलोमीटर सड़क मैट्रर्स तकनीक से बनाई जा रही है. यह वह क्षेत्र है, जहां पर अधिक बर्फ पड़ती है.
लंबाथाच से थाची तक 42 किलोमीटर का टेंडर 72 करोड़ रुपये में अलॉट हुआ है. इसमें चिउणी से थाची तक 28 किलोमीटर मे मैट्रेस तकनीक का उपयोग होगा.
इस काम के लिए 7 करोड़ रुपये की मशीन डब्लयूआर 40 आइजेडईएन जर्मनी से लाई गई है. इस तकनीकी का प्रयोग सियाचिन जैसे बार्डर एरिया में किया जाता है.
इस तकनीक का सबसे अधिक लाभ यह है कि टारिंग के
इस तकनीक का सबसे अधिक लाभ यह है कि टारिंग के लिए पांच साल तक आवश्यकता नहीं पड़ेगी. बर्फ या पानी पडऩे पर भी सड़क पर गड्ढ़े नहीं होंगे, क्योंकि मैट से पैदा होने वाली हीट के कारण पानी व बर्फ इस पर ठहर नहीं पाएगा.
जर्मनी से लाई गई मशीन में सीमेंट, कंक्रीट और मिट
जर्मनी से लाई गई मशीन में सीमेंट, कंक्रीट और मिट्टी के साथ मिलकार 14 सीएम की एक मोटी परत बिछाई जाती है.
इसके बाद लोहे की जाली से बने 5 एमएम के मैट्रेस बिछाए जाते है, फिर 25 सीएम गटका बिछाया और 12 सीएम की मोटी टारिंग की जाएगी.
यह एक फिट मोटी मैट और कंकरीट की परत होगी. यह काली
यह एक फिट मोटी मैट और कंकरीट की परत होगी. यह काली मैट सड़क पर नमी नहीं बनने देगी और सड़क का तापमान सर्दियों में भी कम नहीं होगा. इससे सड़क पर बर्फ नहीं टिक पाएगी. साथ ही सड़क की लोड उठाने की क्षमता दोगुनी हो जाएगी. हिमाचल में पहली बार इस तरह से सड़क पक्की की जा रही है.
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