शांता कुमार बन सकते हैं किसी बड़े राज्य के राज्यपाल, क्लिक पर पढ़ें वजह
हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो सहयोगी संवाददाता।
पूर्व मुख्यमंत्री जल्द ही किसी बड़े प्रदेश के राज्यपाल बन सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स व राजनीतिक सूत्रों के अनुसार 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके भाजपा के कईं दिग्गज नेताओं को गवर्नर के रूप में तैनाती देने की कवायद भाजपा में चल रही है। इन नेताओं में सुषमा स्वराज, कलराज मिश्र, उमा भारती आदि ऐसे नाम है। जिन पर पार्टी में राज्यपाल बनाने के लिए विचार किया जा रहा है। अगले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसग़ढ, उड़ीसा आदि राज्यों में नियुक्त राज्यपालों का कार्यकाल पूरा होने वाला है।
लोकसभा चुनाव में शांता कुमार के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदेश के सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र में भारी मार्जिन से चुनाव जीता था। शांता कुमार ने अपने शिष्य किशन कपूर को अपने स्थान पर चुनावी मैदान में उतारा था। भाजपा के शानदार प्रदर्शन का ईनाम शांता कुमार को मिलना तय है। फील वक्त शांता कुमार के पक्ष में पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का होना भी माना जा रहा है।
शांता कुमार 1977 में पहली बार हिमाचल के गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। उसके बाद 1990 में वह पालमपुर व सुलह से जीत कर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। केंद्र की अटल सरकार में वह दो महत्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रहे। उन्हें सवैधानिक राजनीति की समझ और लंबा अनुभव है। करीब 84 साल के हो चुके शांता कुमार को अपने राजनीतिक सिद्धांतों के लिए जाना जाता है। उनके अनुभव के चलते यही वजह उनको राज्यपाल के पद तक ले जा सकती है।
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पूर्व मुख्यमंत्री जल्द ही किसी बड़े प्रदेश के राज्यपाल बन सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स व राजनीतिक सूत्रों के अनुसार 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके भाजपा के कईं दिग्गज नेताओं को गवर्नर के रूप में तैनाती देने की कवायद भाजपा में चल रही है। इन नेताओं में सुषमा स्वराज, कलराज मिश्र, उमा भारती आदि ऐसे नाम है। जिन पर पार्टी में राज्यपाल बनाने के लिए विचार किया जा रहा है। अगले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसग़ढ, उड़ीसा आदि राज्यों में नियुक्त राज्यपालों का कार्यकाल पूरा होने वाला है।
लोकसभा चुनाव में शांता कुमार के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदेश के सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र में भारी मार्जिन से चुनाव जीता था। शांता कुमार ने अपने शिष्य किशन कपूर को अपने स्थान पर चुनावी मैदान में उतारा था। भाजपा के शानदार प्रदर्शन का ईनाम शांता कुमार को मिलना तय है। फील वक्त शांता कुमार के पक्ष में पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का होना भी माना जा रहा है।
शांता कुमार 1977 में पहली बार हिमाचल के गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। उसके बाद 1990 में वह पालमपुर व सुलह से जीत कर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। केंद्र की अटल सरकार में वह दो महत्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रहे। उन्हें सवैधानिक राजनीति की समझ और लंबा अनुभव है। करीब 84 साल के हो चुके शांता कुमार को अपने राजनीतिक सिद्धांतों के लिए जाना जाता है। उनके अनुभव के चलते यही वजह उनको राज्यपाल के पद तक ले जा सकती है।
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HP Bureau
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