नई शिक्षा नीति आदर्श शिक्षक तैयार करने की दिशा में बड़ी पहल
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला।
नई शिक्षा नीति जहां छात्रों की प्रतिभा को और अधिक निखार कर बेहतर बनाने के उपाय लेकर आई है वहीं इसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी खास व्यवस्था की गई है ताकि आदर्श शिक्षक हों और उनके द्वारा पढ़ाए गए छात्रों में भी अच्छे सामाजिक संस्कार देखने को मिले।
विश्वस्तरीय शिक्षक होंगे तैयार
संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव रह चुके और एनसीआरटी के पूर्व निदेशक और जाने-माने शिक्षाविद जेएस राजपूत शिक्षकों की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि किसी भी देश की शिक्षा नीति की सफलता अध्यापकों की योग्यता, कर्मठता और प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। नई शिक्षा नीति में अध्यापकों के प्रशिक्षण की नई व्यवस्था करने की बात कही गई है।
शिक्षक बनने के लिए बीएड के चार वर्षीय पाठ्यक्रम की संस्तुति है। अभी तक यह दो वर्ष का पाठ्यक्रम होता था। अब कक्षा बारह के बाद चार साल का पाठ्यक्रम होगा। विश्व भर में अच्छे शिक्षक इसी से तैयार किए जाते हैं। दूसरे, अध्यापक जिस स्कूल में शिक्षा देते हैं उन्हें वहां के सामाजिक व सांस्कृतिक माहौल से परिचित होना चाहिए। सारे विश्व में यही अपेक्षा की जाती है कि प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापक आसपास के क्षेत्रों के ही हों तो ज्यादा उपयोगी रहता है। ऐसा पहले भी किया गया है और अब व्यापक रूप से इसका क्रियान्वयन होगा।
अध्यापकों को भी मिलेगा प्रशिक्षण
दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों से शिक्षकों की कमी को खत्म करने और गांवों के शिक्षित युवाओं को आसपास ही रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार ने नई शिक्षा नीति में बड़ी पहल की है। इसके तहत गांवों के प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षक बनने की ओर आकर्षित किया जाएगा और उन्हें बारहवीं के बाद चार साल का बीएड कोर्स करने के लिए छात्रवृत्ति भी दी जाएगी।
यह स्कीम देशव्यापी होगी। वरिष्ठ शिक्षाविद् जेएस राजपूत शिक्षकों के प्रशिक्षण को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं और उनके लगातार अपडेट रहने और सीखते रहने की अनुशंसा करते हैं। वे कहते हैं कि नई शिक्षा नीति में अध्यापकों को भी समय-समय पर प्रशिक्षण मिलता रहे इसकी व्यवस्था की जाएगी। क्योंकि एक बार प्रशिक्षण लेने के बाद आगे के तीस-पैंतीस साल नहीं पढ़ा सकते। क्योंकि इस बीच पढ़ाने की विधा लगातार बदलेगी। पुस्तकें बदलेंगी। पुस्तकों की विषयवस्तु भी बदलेगी।
अत: हर अध्यापक को नया सीखने के अवसरों को आत्मसात करना पड़ेगा। जो लगातार पढ़ेगा वही अध्यापक अपना सम्मान बच्चों के समक्ष सुरक्षित रख पाएगा। इसलिए अब बच्चे भी पढ़ेंगे और अध्यापक भी। अपेक्षा की जाती है कि दोनों साथ-साथ पढ़ेंगे और ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे।
आदर्श स्थापित करें शिक्षक
जहां शिक्षकों के प्रशिक्षण की बात आती है वहां टीचर्स को पढ़ाने वालों की अहमियत भी खास हो जाती है। इसे रेखांकित करते हुए जेएस राजपूत कहते हैं कि नई व्यवस्था से मैं सहमत हूं। पहली कमेटी का मैं सदस्य था और हमने इस बात को कहा भी था कि अध्यापकों का प्रशिक्षण सही होना चाहिए। जो शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान होते हैं वहां पढ़ाने वालों को 'टीचर एजुकेटर' कहते हैं। उनकी गुणवत्ता अच्छी हो, चरित्र अच्छा हो, लोगों से संबंध अच्छे हों तो वे अच्छे अध्यापक बनाएंगे।
ऐसे अध्यापक जब स्कूलों में जाएंगे और आदर्श स्थापित करेंगे तो छात्र भी ईमानदार और बेहतर तैयार होंगे। कुल मिलाकर समाज की संरचना का मुख्य आधार शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय से प्रारंभ होता है इसलिए इस पर बहुत अधिक बल दिया गया है। मेरी अपेक्षा है कि सरकार आवश्यक संसाधन जुटाएगी और राज्य सरकारें अपने शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों को आदर्श स्वरूप देंगी तब यह नीति कहीं अधिक सफल होगी।
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