विधायकों का 50 नही बल्कि 30 प्रतिशत कटेगा वेतन, बिल पास
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला।
हिमाचल में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अब विधायकों का वेतन 50 नहीं, बल्कि 30 प्रतिशत ही कटेगा। शुक्रवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन सदन में चर्चा के बाद विधायकों के वेतन में 30 फीसदी कटौती का यह बिल पारित कर दिया गया। सदन में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस बिल में संशोधन का प्रस्ताव रखा कि विधायकों के वेतन से यह कटौती 30 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जाए। माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी इसका समर्थन किया। इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की भी मांग उठी। हालांकि, कुछ विधायकों ने इस पर आपत्ति भी की।
इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि एतराज न हो तो इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जा सकता है। विधायक स्वेच्छा से ज्यादा वेतन भी कटवा सकते हैं। इसके बाद सीएम ने बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा। सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस पर चर्चा में विधायक सुक्खू ने कहा कि मंत्रियों, विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत वेतन कटने की बातें हुई हैं। किसी भी कांग्रेस के विधायक ने वेतन वापस करने की बात नहीं की, जैसा कि कहा जा रहा है।
हम तो विकास के लिए जारी होने वाली विधायक निधि की बात कर रहे हैं। सुक्खू ने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत वेतन कटौती हो और इस संशोधन पर विचार हो। बिल चाहे मंत्री के वेतन से संबंधित हो या विधायक के वेतन से, क्यों न इस बारे में कमेटी बने। बार-बार वेतन का मामले लाने से भी जनता में गलत संदेश जाता है।
सरकाघाट के विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने कहा कि जो संपन्न विधायक हैं वे बढ़ोतरी कर सकते हैं, जिनके पास कोई साधन नहीं हैं, उनके बारे में विचार होना चाहिए। जगत सिंह नेगी ने कहा कि 50 प्रतिशत वेतन घटाने या नहीं घटाने का मामला सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए।
सरकार अध्यक्षों-उपाध्यक्षों की नियुक्ति कर रही है। रोज शिलान्यास और उद्घाटन हो रहे हैं। लगता है कि पैसों की कमी नहीं है। फिर भी अपना योगदान देंगे। नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि विधायक वेतन अपने सामर्थ्य अनुसार ही कटवाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्र कोरोना के चलते रोकना पड़ा, हम बिल लाने की स्थिति में नहीं थे। अब एक निर्णय पर हमें टिकना चाहिए, जो इससे ज्यादा कटवाना चाहें, कटवा सकते हैं। वह सभी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त करते हैं।
शिमला।
हिमाचल में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अब विधायकों का वेतन 50 नहीं, बल्कि 30 प्रतिशत ही कटेगा। शुक्रवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन सदन में चर्चा के बाद विधायकों के वेतन में 30 फीसदी कटौती का यह बिल पारित कर दिया गया। सदन में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस बिल में संशोधन का प्रस्ताव रखा कि विधायकों के वेतन से यह कटौती 30 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जाए। माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी इसका समर्थन किया। इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की भी मांग उठी। हालांकि, कुछ विधायकों ने इस पर आपत्ति भी की।
इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि एतराज न हो तो इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जा सकता है। विधायक स्वेच्छा से ज्यादा वेतन भी कटवा सकते हैं। इसके बाद सीएम ने बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा। सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस पर चर्चा में विधायक सुक्खू ने कहा कि मंत्रियों, विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत वेतन कटने की बातें हुई हैं। किसी भी कांग्रेस के विधायक ने वेतन वापस करने की बात नहीं की, जैसा कि कहा जा रहा है।
हम तो विकास के लिए जारी होने वाली विधायक निधि की बात कर रहे हैं। सुक्खू ने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत वेतन कटौती हो और इस संशोधन पर विचार हो। बिल चाहे मंत्री के वेतन से संबंधित हो या विधायक के वेतन से, क्यों न इस बारे में कमेटी बने। बार-बार वेतन का मामले लाने से भी जनता में गलत संदेश जाता है।
सरकाघाट के विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने कहा कि जो संपन्न विधायक हैं वे बढ़ोतरी कर सकते हैं, जिनके पास कोई साधन नहीं हैं, उनके बारे में विचार होना चाहिए। जगत सिंह नेगी ने कहा कि 50 प्रतिशत वेतन घटाने या नहीं घटाने का मामला सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए।
सरकार अध्यक्षों-उपाध्यक्षों की नियुक्ति कर रही है। रोज शिलान्यास और उद्घाटन हो रहे हैं। लगता है कि पैसों की कमी नहीं है। फिर भी अपना योगदान देंगे। नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि विधायक वेतन अपने सामर्थ्य अनुसार ही कटवाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्र कोरोना के चलते रोकना पड़ा, हम बिल लाने की स्थिति में नहीं थे। अब एक निर्णय पर हमें टिकना चाहिए, जो इससे ज्यादा कटवाना चाहें, कटवा सकते हैं। वह सभी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त करते हैं।
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