विस मॉनसून सत्र: दूसरे दिन विपक्ष का वॉक आउट, स्थगित हुई चर्चा
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला।
मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले अध्यक्ष विपिन परमार ने निवेदन किया कि यदि किसी सदस्य को कोई शंका हो तो वह अपना कारोना टेस्ट करवा लें। जनता की भावनाओं को ध्यान के रखते हुए कोविड-19 के प्रोटोकॉल का ध्यान रखें। विधानसभा अध्यक्ष ने व्यंग्यात्मक शैली में कहा कि सदन में जोर से न बोले इससे भी कारोना फैलता है।
विधानसभा अध्यक्ष के वक्तव्य के बाद सदन की कार्यवाही की शुरुआत सोमवार के विपक्ष द्वारा दिए गए नियम 67 के स्थगन प्रस्ताव के साथ हुई। स्थगन प्रस्ताव के चलते आज प्रश्नकाल नही हो पाया। नियम 67 के तहत चर्चा शुरू हो गई है। सबसे पहले चर्चा में बिलासपुर के विधायक सुभाष ठाकुर बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा कि कारोना ने समूचे विश्व को सख्ते में डाल दिया।
बाबजुद इसके केन्द्र व प्रदेश सरकार ने कारोना से निबटने के लिए हर संभव प्रयास किए। विपक्ष कारोना पर वेवजह राजनीति न करे। भाजपा में पार्टी को पहले माना जाता है व व्यक्ति को बाद में, लेकिन कांग्रेस में उल्टा है पहले परिवार, बाद में पार्टी, आती है। जिस पर कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति भी ज़ाहिर की।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष की तरफ से किन्नौर के विधायक जगत नेगी ने सरकार पर जमकर हमले बोले। नेगी ने कहा कि कारोना काल मे विपक्ष के विधायकों को नजरबंद कर दिया जबकि भाजपा के लोग व दलाल खुलेआम घूमते रहे।
आपातकाल में भी ऐसा नही हुआ। कोविड से निबटने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार पूरी तरह नाकाम रही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज तक के निकम्मे मुख्यमंत्री जाने जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र के हाथ की कठपुतली के रूप में प्रदेश सरकार ने तानाशाह के रूप में काम किया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेगी के शब्दों के चयन पर आपत्ति जाहिर की। इस पर विपक्ष के नेता ने ऐतराज जताया ओर दोनों तरफ़ से शोर शराबा शुरू हो गया। इसी बीच विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। विधानसभा अध्यक्ष ने स्थिति को संभाला व शब्दों के सही चयन करने की अपील की। जगत नेगी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह उनको बोलने से रोककर लोकतंत्र की हत्या कर रहे है।
नेगी ने आगे कहा कि आप तो राम राज्य की बात करते है लेकिन यहां तो रावण राज्य से भी बदतर हालात हो गए है। क्योंकि रावण राज्य में कम से कम सोने की लंका तो थी? सरकार ने कोविड की आड़ में सारा सिस्टम तहस नहस कर दिया। जगत नेगी के हमलों पर दोनों तरफ़ से सदन में बहसबाज़ी भी चलती रही।
मामला शांत हुआ तो वन मंत्री राकेश पठानियाँ ने 67 के प्रस्ताव की चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कारोना की लड़ाई से समूचा विश्व लड़ रहा है। इसके खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ने के बजाए कांग्रेस पार्टी इस पर रसजनीति करे ये शर्मनाक है। जब कोरोना काल में हिमाचली बाहर फँसे थे उस वक्त विपक्ष उनको लाने की मांग करता रहा। जब लोगों को हिमाचल लाने का काम शुरु किया फिर कांग्रेस आलोचना करने लग गई। विपक्ष ने सिर्फ सरकार के हर फैसले का विरोध किया।
अब विपक्ष मुख्यमंत्री सहित मांत्रियों से इस्तीफ़ा मांग रहा है। कांग्रेस अपने समय के कोर्ट के चक्करों को भूल गई। कांग्रेस हिमाचल की दुश्मन है। विधायक निधि को लेकर सत्ता पक्ष सवाल न उठाएं क्योंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ख़राब है ऐसे में इस तरह की मांग करना गलत है।
वन मंत्री ने सुखविंदर सुख्खू द्वारा कटवाए जा रहे वेतन को लेकर कहा कि सिर्फ़ सुख्खू ही अपना वेतन जमा नही करवा रहे बल्कि सभी सदस्य अपना वेतन कोविड में दे रहे है। जिस पर सुख्खू ने कहा कि अन्य सदस्य सिर्फ़ 30 फ़ीसदी वेतन दे रहे है जबकि वह अपनी पूरी सैलरी कोविड फण्ड में जमा करवा रहे हैं।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए रामपुर के कांग्रेसी विधायक नंद लाल ने कहा कि कोरोना काल में कोविड केअर सेन्टर की व्यवस्था काफी खराब रही। रामपुर अस्पताल में अभी तक वेंटिलेटर नहीं लग पाए है। सरकार कोरोना काल में किए काम व ख़र्च पर श्वेत पत्र लाए।
स्वास्थ्य विभाग में घोटाले को लेकर डॉ बिंदल को क्यों इस्तीफा देना पड़ा। कोरोना में सरकार का कुप्रबंधन पूरी तरह से नजर आया। संस्थागत संगरोध संस्थानों में टॉयलेट तक की व्यवस्था नही थी। सेब सीजन में लेबर की कमी से बागवानों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
भाजपा नगरोटा के विधायक अरुण कुमार ने कारोना काल में राज्य व केन्द्र सरकार के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने कोरोना को नियंत्रण करने व लोगों को सुविधाएं देने के लिए हर प्रयास किए। बाहर से लोगों को लाया गया, यहां से प्रवासी वापिस भेजे गए।
बाहर से आने वाले हिमाचलियों के लिए व्यापक प्रबंध किए गए। सरकार ने आशा वर्कर को मानदेय सहित कोरोना योद्धाओं का मान किया।
उसके बाद चर्चा में सुजानपुर के विधायक राजेन्द्र राणा ने भाग लिया व कहा कि देरी से हिमाचलियों को प्रदेश में लाने से मामले बढ़े।
चीन में जब कारोना का पता चल गया तो केन्द्र सरकार ने विदेश से आने वाले लोगों को एयरपोर्ट पर क्यों नही रोका? ऐसी गलतियां सरकार ने की जिसकी वजह से कोरोना फैल रहा है। जो लोग बाहर से हिमाचल आकर बेरोजगार हुए क्या सरकार के पास इसका आंकड़ा है। कोविड के दौरान सरकार ने कितना पैसा इक्कठा किया व कितना खर्च किया सरकार बताए। विधायक निधि को खत्म करने से क्षेत्र में विकास कार्य रुक गए है। भले ही विधायक निधि कम करें लेकिन 1 करोड़ तो दे। सरकार आर्थिक संकट से दिवालिया हो गई। डबल इंजन की सरकार का अब इंजन फ्रीज़ हो गया है। सड़कें खड्डों में तब्दील हो गए है। राणा ने कहा कि सरकार जब सत्ता में होती है तो हरा हरा ही दिखता है। इसलिए सरकार लोगों के लिए काम करे।
शिमला।
मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले अध्यक्ष विपिन परमार ने निवेदन किया कि यदि किसी सदस्य को कोई शंका हो तो वह अपना कारोना टेस्ट करवा लें। जनता की भावनाओं को ध्यान के रखते हुए कोविड-19 के प्रोटोकॉल का ध्यान रखें। विधानसभा अध्यक्ष ने व्यंग्यात्मक शैली में कहा कि सदन में जोर से न बोले इससे भी कारोना फैलता है।
विधानसभा अध्यक्ष के वक्तव्य के बाद सदन की कार्यवाही की शुरुआत सोमवार के विपक्ष द्वारा दिए गए नियम 67 के स्थगन प्रस्ताव के साथ हुई। स्थगन प्रस्ताव के चलते आज प्रश्नकाल नही हो पाया। नियम 67 के तहत चर्चा शुरू हो गई है। सबसे पहले चर्चा में बिलासपुर के विधायक सुभाष ठाकुर बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा कि कारोना ने समूचे विश्व को सख्ते में डाल दिया।
बाबजुद इसके केन्द्र व प्रदेश सरकार ने कारोना से निबटने के लिए हर संभव प्रयास किए। विपक्ष कारोना पर वेवजह राजनीति न करे। भाजपा में पार्टी को पहले माना जाता है व व्यक्ति को बाद में, लेकिन कांग्रेस में उल्टा है पहले परिवार, बाद में पार्टी, आती है। जिस पर कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति भी ज़ाहिर की।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष की तरफ से किन्नौर के विधायक जगत नेगी ने सरकार पर जमकर हमले बोले। नेगी ने कहा कि कारोना काल मे विपक्ष के विधायकों को नजरबंद कर दिया जबकि भाजपा के लोग व दलाल खुलेआम घूमते रहे।
आपातकाल में भी ऐसा नही हुआ। कोविड से निबटने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार पूरी तरह नाकाम रही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज तक के निकम्मे मुख्यमंत्री जाने जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र के हाथ की कठपुतली के रूप में प्रदेश सरकार ने तानाशाह के रूप में काम किया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेगी के शब्दों के चयन पर आपत्ति जाहिर की। इस पर विपक्ष के नेता ने ऐतराज जताया ओर दोनों तरफ़ से शोर शराबा शुरू हो गया। इसी बीच विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। विधानसभा अध्यक्ष ने स्थिति को संभाला व शब्दों के सही चयन करने की अपील की। जगत नेगी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह उनको बोलने से रोककर लोकतंत्र की हत्या कर रहे है।
नेगी ने आगे कहा कि आप तो राम राज्य की बात करते है लेकिन यहां तो रावण राज्य से भी बदतर हालात हो गए है। क्योंकि रावण राज्य में कम से कम सोने की लंका तो थी? सरकार ने कोविड की आड़ में सारा सिस्टम तहस नहस कर दिया। जगत नेगी के हमलों पर दोनों तरफ़ से सदन में बहसबाज़ी भी चलती रही।
मामला शांत हुआ तो वन मंत्री राकेश पठानियाँ ने 67 के प्रस्ताव की चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कारोना की लड़ाई से समूचा विश्व लड़ रहा है। इसके खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ने के बजाए कांग्रेस पार्टी इस पर रसजनीति करे ये शर्मनाक है। जब कोरोना काल में हिमाचली बाहर फँसे थे उस वक्त विपक्ष उनको लाने की मांग करता रहा। जब लोगों को हिमाचल लाने का काम शुरु किया फिर कांग्रेस आलोचना करने लग गई। विपक्ष ने सिर्फ सरकार के हर फैसले का विरोध किया।
अब विपक्ष मुख्यमंत्री सहित मांत्रियों से इस्तीफ़ा मांग रहा है। कांग्रेस अपने समय के कोर्ट के चक्करों को भूल गई। कांग्रेस हिमाचल की दुश्मन है। विधायक निधि को लेकर सत्ता पक्ष सवाल न उठाएं क्योंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ख़राब है ऐसे में इस तरह की मांग करना गलत है।
वन मंत्री ने सुखविंदर सुख्खू द्वारा कटवाए जा रहे वेतन को लेकर कहा कि सिर्फ़ सुख्खू ही अपना वेतन जमा नही करवा रहे बल्कि सभी सदस्य अपना वेतन कोविड में दे रहे है। जिस पर सुख्खू ने कहा कि अन्य सदस्य सिर्फ़ 30 फ़ीसदी वेतन दे रहे है जबकि वह अपनी पूरी सैलरी कोविड फण्ड में जमा करवा रहे हैं।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए रामपुर के कांग्रेसी विधायक नंद लाल ने कहा कि कोरोना काल में कोविड केअर सेन्टर की व्यवस्था काफी खराब रही। रामपुर अस्पताल में अभी तक वेंटिलेटर नहीं लग पाए है। सरकार कोरोना काल में किए काम व ख़र्च पर श्वेत पत्र लाए।
स्वास्थ्य विभाग में घोटाले को लेकर डॉ बिंदल को क्यों इस्तीफा देना पड़ा। कोरोना में सरकार का कुप्रबंधन पूरी तरह से नजर आया। संस्थागत संगरोध संस्थानों में टॉयलेट तक की व्यवस्था नही थी। सेब सीजन में लेबर की कमी से बागवानों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
भाजपा नगरोटा के विधायक अरुण कुमार ने कारोना काल में राज्य व केन्द्र सरकार के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने कोरोना को नियंत्रण करने व लोगों को सुविधाएं देने के लिए हर प्रयास किए। बाहर से लोगों को लाया गया, यहां से प्रवासी वापिस भेजे गए।
बाहर से आने वाले हिमाचलियों के लिए व्यापक प्रबंध किए गए। सरकार ने आशा वर्कर को मानदेय सहित कोरोना योद्धाओं का मान किया।
उसके बाद चर्चा में सुजानपुर के विधायक राजेन्द्र राणा ने भाग लिया व कहा कि देरी से हिमाचलियों को प्रदेश में लाने से मामले बढ़े।
चीन में जब कारोना का पता चल गया तो केन्द्र सरकार ने विदेश से आने वाले लोगों को एयरपोर्ट पर क्यों नही रोका? ऐसी गलतियां सरकार ने की जिसकी वजह से कोरोना फैल रहा है। जो लोग बाहर से हिमाचल आकर बेरोजगार हुए क्या सरकार के पास इसका आंकड़ा है। कोविड के दौरान सरकार ने कितना पैसा इक्कठा किया व कितना खर्च किया सरकार बताए। विधायक निधि को खत्म करने से क्षेत्र में विकास कार्य रुक गए है। भले ही विधायक निधि कम करें लेकिन 1 करोड़ तो दे। सरकार आर्थिक संकट से दिवालिया हो गई। डबल इंजन की सरकार का अब इंजन फ्रीज़ हो गया है। सड़कें खड्डों में तब्दील हो गए है। राणा ने कहा कि सरकार जब सत्ता में होती है तो हरा हरा ही दिखता है। इसलिए सरकार लोगों के लिए काम करे।
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