जल शक्ति विभाग के मुख्य सचिव सहित अन्य 4 अफसरों को कोर्ट में पेश होने के आदेश
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। लीगल डेस्क
हिमाचल हाई कोर्ट ने जल शक्ति विभाग के प्रमुख सचिव सहित विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ, अधीक्षण अभियंता, शिमला सर्कल और कार्यकारी अभियंता, सुन्नी डिवीजन, जिला शिमला को जमानती वारंट जारी कर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट में मामले पर सुनवाई 6 अक्तूबर को होगी।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने शुक्रवार को ये आदेश तत्कालीन ट्रिब्यूनल के 23 अप्रैल, 2019 को पारित आदेशों की अनुपालना न करने के लिए गोविंद सिंह की ओर से दायर याचिका पर पारित किए।
ट्रिब्यूनल ने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी को 60 वर्ष की आयु तक विभाग में सेवा करने दे। प्रार्थी ने प्रतिवादियों को उसका वेतन 12 फीसदी ब्याज सहित जारी करने का निर्देश देने की प्रार्थना की है।
तत्कालीन ट्रिब्यूनल को समाप्त करने के बाद, याचिका उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दी गई थी। विभाग के उत्तरदायी अधिकारियों को अनुपालना शपथपत्र दायर करने के लिए कई अवसरों के बावजूद दायर नहीं किया गया था। प्रतिवादियों को 10 सितंबर, 2020 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश भी दिया गया था। अनुपालना शपथ पत्र दाखिल करने में विफलता के मामले में उन्होंने न तो स्पष्टीकरण दिया और न ही व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
इसके अलावा उपस्थिति से छूट के लिए उनकी ओर से कोई आवेदन भी दायर नहीं किया गया था। न्यायालय ने पाया कि इन परिस्थितियों में प्रतिवादियों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
शिमला। लीगल डेस्क
हिमाचल हाई कोर्ट ने जल शक्ति विभाग के प्रमुख सचिव सहित विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ, अधीक्षण अभियंता, शिमला सर्कल और कार्यकारी अभियंता, सुन्नी डिवीजन, जिला शिमला को जमानती वारंट जारी कर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट में मामले पर सुनवाई 6 अक्तूबर को होगी।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने शुक्रवार को ये आदेश तत्कालीन ट्रिब्यूनल के 23 अप्रैल, 2019 को पारित आदेशों की अनुपालना न करने के लिए गोविंद सिंह की ओर से दायर याचिका पर पारित किए।
ट्रिब्यूनल ने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी को 60 वर्ष की आयु तक विभाग में सेवा करने दे। प्रार्थी ने प्रतिवादियों को उसका वेतन 12 फीसदी ब्याज सहित जारी करने का निर्देश देने की प्रार्थना की है।
तत्कालीन ट्रिब्यूनल को समाप्त करने के बाद, याचिका उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दी गई थी। विभाग के उत्तरदायी अधिकारियों को अनुपालना शपथपत्र दायर करने के लिए कई अवसरों के बावजूद दायर नहीं किया गया था। प्रतिवादियों को 10 सितंबर, 2020 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश भी दिया गया था। अनुपालना शपथ पत्र दाखिल करने में विफलता के मामले में उन्होंने न तो स्पष्टीकरण दिया और न ही व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
इसके अलावा उपस्थिति से छूट के लिए उनकी ओर से कोई आवेदन भी दायर नहीं किया गया था। न्यायालय ने पाया कि इन परिस्थितियों में प्रतिवादियों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
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