कांग्रेस के भारी विरोध और वाकआउट के चलते विस में हुए 3 बिल पास
हिमाचल क्राइम न्यूज़ ब्यूरो
शिमला।
विपक्ष के विधायकों और माकपा विधायक राकेश सिंघा के भारी विरोध के बीच सदन में उद्योगों, कारखानों और श्रमिकों से संबंधित तीन बिल सोमवार को सदन में पारित कर दिए गए। इन कानूनों को सरकार प्रदेश में अध्यादेश लाकर पहले ही लागू कर चुकी है। यह बिल बनाकर सदन में पेश किए थे। इन पर विपक्ष के विधायक जगत सिंह नेगी, सुखविंद्र सिंह सुक्खू और माकपा विधायक राकेश सिंघा ने संशोधन प्रस्ताव पेश किए। प्रस्तावों पर चर्चा हुई और मंत्री ने जवाब दिए। कांग्रेस के विधायक और माकपा विधायक राकेश सिंघा इन्हें मजदूर विरोधी काले कानून बताकर इनका विरोध करते रहे और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर के जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से वाकआउट कर गए।
माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कांग्रेस विधायक दल के साथ सदन से वाकआउट कर दिया। हालांकि, निर्दलीय विधायक होशियार सिंह इन विधेयकों का समर्थन करते रहे।
सदन में सबसे पहले वर्ष 1947 के बने औद्योगिक विवाद अधिनियम को संशोधित करने के लिए रखे गए बिल पर कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी को चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया। उनके बाद माकपा विधायक राकेश सिंघा भी चर्चा में शामिल हुए। सदन में इस विधेयक पर सिंघा खूब आक्रामक रहे। उन्होंने आजादी के बाद देश की किसी विधायिका में पारित किया जा रहा काला कानून बताते हुए इसका विरोध किया।
इसी तरह से कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी इसमें कई प्रावधानों को मजदूर विरोधी करार देते रहे। इसी तरह से 1970 के बने ठेका श्रम कानून और 1948 में बने कारखाना अधिनियम के लिए रखे गए संशोधन बिलों पर भी चर्चा हुई। इन्हें भी विपक्ष और माकपा विधायक राकेश सिंघा मजदूर विरोधी बताते रहे।
बीच मे संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज और कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी में तो नोकझोंक तक की नौबत आ गई। बीच में मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पडा। बाद में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के विधायक और माकपा विधायक राकेश सिंघा विरोध में सदन से बाहर चले गए। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के आरोप गलत हैं। इन बिलों में मजदूरों के हितों का ध्यान रखा गया है। यह एकतरफा बात कर रहे हैं।
शिमला।
विपक्ष के विधायकों और माकपा विधायक राकेश सिंघा के भारी विरोध के बीच सदन में उद्योगों, कारखानों और श्रमिकों से संबंधित तीन बिल सोमवार को सदन में पारित कर दिए गए। इन कानूनों को सरकार प्रदेश में अध्यादेश लाकर पहले ही लागू कर चुकी है। यह बिल बनाकर सदन में पेश किए थे। इन पर विपक्ष के विधायक जगत सिंह नेगी, सुखविंद्र सिंह सुक्खू और माकपा विधायक राकेश सिंघा ने संशोधन प्रस्ताव पेश किए। प्रस्तावों पर चर्चा हुई और मंत्री ने जवाब दिए। कांग्रेस के विधायक और माकपा विधायक राकेश सिंघा इन्हें मजदूर विरोधी काले कानून बताकर इनका विरोध करते रहे और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर के जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से वाकआउट कर गए।
माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कांग्रेस विधायक दल के साथ सदन से वाकआउट कर दिया। हालांकि, निर्दलीय विधायक होशियार सिंह इन विधेयकों का समर्थन करते रहे।
सदन में सबसे पहले वर्ष 1947 के बने औद्योगिक विवाद अधिनियम को संशोधित करने के लिए रखे गए बिल पर कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी को चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया। उनके बाद माकपा विधायक राकेश सिंघा भी चर्चा में शामिल हुए। सदन में इस विधेयक पर सिंघा खूब आक्रामक रहे। उन्होंने आजादी के बाद देश की किसी विधायिका में पारित किया जा रहा काला कानून बताते हुए इसका विरोध किया।
इसी तरह से कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी इसमें कई प्रावधानों को मजदूर विरोधी करार देते रहे। इसी तरह से 1970 के बने ठेका श्रम कानून और 1948 में बने कारखाना अधिनियम के लिए रखे गए संशोधन बिलों पर भी चर्चा हुई। इन्हें भी विपक्ष और माकपा विधायक राकेश सिंघा मजदूर विरोधी बताते रहे।
बीच मे संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज और कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी में तो नोकझोंक तक की नौबत आ गई। बीच में मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पडा। बाद में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के विधायक और माकपा विधायक राकेश सिंघा विरोध में सदन से बाहर चले गए। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के आरोप गलत हैं। इन बिलों में मजदूरों के हितों का ध्यान रखा गया है। यह एकतरफा बात कर रहे हैं।
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