कोरोना लॉक डाउन में आई सड़क दुर्घटनाओं में कमी, हिमाचल पुलिस ले रही श्रेय
हिमाचल क्राइम न्यूज़
शिमला। ट्रांसपोर्ट डेस्क
हिमाचल राज्य में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों में होती है और शायद ही कोई ऐसा दिन नहीं होता, जब प्रदेश में छोटा बड़ा हादसा नहीं होता है. लेकिन इस साल, बीते साल के मुकाबले सूबे में हादसों में कमी आई है. हिमाचल पुलिस ने यह जानकारी साझा करते हुए सड़क हादसों में कमी का श्रेय लेने की कोशिश की है. लेकिन सच्चाई यह है कि इस बार पुलिस की जागरूकता या सजगता से नहीं, बल्कि कोरोना के चलते हादसों पर लगाम लगी है.
मार्च में COVID19 के चलते लॉक़डाउन
पूर्ण राज्य में कोरोना के ख़तरे के मध्य नज़र लॉक डाउन लगाया गया था. इसके बाद 21 दिन तक सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बिलकुल बंद हो गई थी. इसके बाद से अब तक सड़कों पर वाहनों की संख्या सीमित रही. ऐसे में हादसों में कमी होना लाजिमी था. हिमाचल पुलिस के अनुसार, बीते साल के मुकाबले इस साल के सात महीनों में 1078 हादसों में 399 लोगों की जान गई, जबकि,बीते साल सात महीनों में हिमाचल में 1680 सड़क हादसों में 672 लोगों की जान गई थी.
ये हैं चौंकाने वाले आंकड़ें
जानकारी के अनुसार, हिमाचल में औसतन हर 96 मिनट बाद एक सड़क हादसा होता है और हर साढ़े 3 घंटे बाद एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में साल हिमाचल में 3119 सड़क हादसे हुए थे. इनमें 5444 लोग घायल हुए हैं. साल 2016 में 3168 सड़क हादसे सामने आए, जिनमें 1271 लोगों को जान गंवानी पड़ी और 5 हजार 764 लोग घायल हुए थे. 2019 में शुरुआती छह महीनों में कुल 1119 रोड एक्सीडेंट हुए थे और कुल 430 लोगों की जान गई थी. यानी साल भर में दोगुने हादसे और लोगों की जान गई थी.
क्यों होते हैं हादसे
मरने वालों में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल होते हैं. शराब पीकर गाड़ी चलाना, फर्जी तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस और तेज रफ्तार हादसे के मुख्य कारण हैं. पहाड़ी रास्तों पर तीखे मोड़ होते हैं और अक्सर नौसिखिये चालक अनियंत्रित खो जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं. सेफ्टी मैन्यूल को भी कम फोलो किया जाता है. इसके अलावा, क्रैश बैरियर और पैराफिट ना होना भी हादसों की बड़ी वजह है.
सूबे में 700 के करीब ब्लैक
हिमाचल प्रदेश में सड़कों की हालत खस्ता है. प्रदेश में 697 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. लोक निर्माण विभाग का दावा है कि सर्वे में 516 ब्लैक स्पॉट हैं, जबकि एंबुलेंस कंपनी ने 697 ब्लॉक स्पॉट चिन्हित किए थे.
शिमला। ट्रांसपोर्ट डेस्क
हिमाचल राज्य में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों में होती है और शायद ही कोई ऐसा दिन नहीं होता, जब प्रदेश में छोटा बड़ा हादसा नहीं होता है. लेकिन इस साल, बीते साल के मुकाबले सूबे में हादसों में कमी आई है. हिमाचल पुलिस ने यह जानकारी साझा करते हुए सड़क हादसों में कमी का श्रेय लेने की कोशिश की है. लेकिन सच्चाई यह है कि इस बार पुलिस की जागरूकता या सजगता से नहीं, बल्कि कोरोना के चलते हादसों पर लगाम लगी है.
मार्च में COVID19 के चलते लॉक़डाउन
हिमाचल पुलिस द्वारा ट्वीट |
पूर्ण राज्य में कोरोना के ख़तरे के मध्य नज़र लॉक डाउन लगाया गया था. इसके बाद 21 दिन तक सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बिलकुल बंद हो गई थी. इसके बाद से अब तक सड़कों पर वाहनों की संख्या सीमित रही. ऐसे में हादसों में कमी होना लाजिमी था. हिमाचल पुलिस के अनुसार, बीते साल के मुकाबले इस साल के सात महीनों में 1078 हादसों में 399 लोगों की जान गई, जबकि,बीते साल सात महीनों में हिमाचल में 1680 सड़क हादसों में 672 लोगों की जान गई थी.
ये हैं चौंकाने वाले आंकड़ें
जानकारी के अनुसार, हिमाचल में औसतन हर 96 मिनट बाद एक सड़क हादसा होता है और हर साढ़े 3 घंटे बाद एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में साल हिमाचल में 3119 सड़क हादसे हुए थे. इनमें 5444 लोग घायल हुए हैं. साल 2016 में 3168 सड़क हादसे सामने आए, जिनमें 1271 लोगों को जान गंवानी पड़ी और 5 हजार 764 लोग घायल हुए थे. 2019 में शुरुआती छह महीनों में कुल 1119 रोड एक्सीडेंट हुए थे और कुल 430 लोगों की जान गई थी. यानी साल भर में दोगुने हादसे और लोगों की जान गई थी.
क्यों होते हैं हादसे
मरने वालों में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल होते हैं. शराब पीकर गाड़ी चलाना, फर्जी तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस और तेज रफ्तार हादसे के मुख्य कारण हैं. पहाड़ी रास्तों पर तीखे मोड़ होते हैं और अक्सर नौसिखिये चालक अनियंत्रित खो जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं. सेफ्टी मैन्यूल को भी कम फोलो किया जाता है. इसके अलावा, क्रैश बैरियर और पैराफिट ना होना भी हादसों की बड़ी वजह है.
सूबे में 700 के करीब ब्लैक
हिमाचल प्रदेश में सड़कों की हालत खस्ता है. प्रदेश में 697 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. लोक निर्माण विभाग का दावा है कि सर्वे में 516 ब्लैक स्पॉट हैं, जबकि एंबुलेंस कंपनी ने 697 ब्लॉक स्पॉट चिन्हित किए थे.
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