डॉ. जगतराम, एक लाख ऑपरेशन का रिकॉर्ड, मिला पद्मश्री

फाइल फोटो:- राज भवन

हिमाचल क्राइम न्यूज़ || ब्यूरो  ||हल जोत खेतीबाड़ी कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले सिरमौर जिले के किसान के बेटे को देश के चौथे सबसे बड़े पुरस्कार पद्मश्री से नवाजा गया। शनिवार को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जगतराम को यह पुरस्कार दिया है।

आर्थिक तंगहाली के बावजूद पीजीआई के निदेशक पद तक पहुंचे डॉ. जगत ने साबित कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत के बूते हर मुश्किल काम भी आसान हो जाता है।

एक समय था जब चंडीगढ़ में एमएस में एडमिशन तो मिली, लेकिन उनमे पास फीस के पैसे नहीं थे। दोस्तों से उधार लेकर एडमिशन फीस भरी। आज उसी संस्थान के वह निदेशक हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जगत राम मूलत: सिरमौर जिले की सेर जगास पंचायत के पबियाना गांव से हैं। 


उनके नाम आंखों के लगभग एक लाख ऑपरेशन करने का रिकॉर्ड दर्ज है, जबकि अकेले बच्चों के दस हजार के करीब ऑपरेशन कर उन्हें रोशनी दी है।कभी पैसों की आवश्यकता होती थी तो पिता भी इधर- उधर से उधार लेकर उनकी पढ़ाई में लगाते थे।

डॉ. जगत राम ने मोतियाबिंद सर्जरी की पुरानी तकनीक को बदलकर नई एवं उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती तकनीक ईजाद की। उन्होंने गरीब लोगों के लिए 135 से अधिक राहत और स्क्रीनिंग शिविरों में नेत्र सर्जन के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं।

उन्हें अमेरिकन सोसायटी कैटरेक्ट की ओर से बेस्ट ऑफ द ईयर से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2017 से वह पीजीआई के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। करीब 40 साल पहले उन्होंने पीजीआई में ज्वाइन किया था।

1985 में उन्होंने आईजीएमसी शिमला से एमबीबीएस किया, जिसके बाद चंडीगढ़ में एमएस पूरी की। वह आज भी रोजाना 35 से 40 आंखों की सर्जरी करते हैं। पुरस्कार प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने अमर उजाला को बताया कि पुरस्कार पाकर वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

15 अवार्ड मिले, 45 किताबें लिखीं

     फाइल फोटो

हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर, पीजीआई के पूर्व डीन एवं पद्मश्री अमोद गुप्ता, पीयू के पूर्व वाइस चांसलर एवं पद्मश्री आरसी सोबती ने डॉ. जगत का नाम पद्मश्री के लिए प्रस्तावित किया था।

उनके पांच भाई हैं, जो अभी भी खेतीबाड़ी करते हैं। डॉ. जगत राम वर्तमान में एमसीआई के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य भी हैं। उन्हें अब तक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 15 अवार्ड मिले हैं।

वर्ष 2013, 16 और 18 में उन्हें अमेरिका में नेत्र सर्जरी के लिए बेस्ट सर्जन का खिताब मिला था। उन्होंने 45 पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में 40 प्रोजेेक्टों पर काम भी किया है। 

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