शांता कुमार ने लिया राजनीति से संन्यास
हिमाचल क्राइम न्यूज़ || ब्यूरो (रुचिका) धर्मशाला ||जहां एक ओर राष्ट्रीय राजनीति के परिदृश्य में लालकृष्ण आडवाणी सरीखे बुजुर्ग नेताओं को चुनावी मैदान से किनारे कर दिया गया वहीं दूसरी ओर हिमाचल भाजपा के भीष्म पितामह शांता कुमार चुनावी विदाई के बावजूद लोकसभा चुनाव में किंगमेकर बनते दिख रहे हैं।
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महेश्वर सिंह के तीखे तेवरों, हमीरपुर सीट से सुरेश चंदेल की सियासी लॉबिंग और मंडी सीट पर सुखराम परिवार की ओर से अचंभित सियासी झटका मिलने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शांता कुमार के पास पहुंचे।
17 विधानसभा क्षेत्रों और करीब साढ़े 13 लाख वोटरों वाली कांगड़ा-चंबा संसदीय सीट पर चुनावी शंखनाद का दारोमदार सीएम ने शांता कुमार पर डाल दिया। कांगड़ा-चंबा सीट के भाजपा उम्मीदवार किशन कपूर भी चुनावी शंखनाद से पहले शांता कुमार की शरण में पहुंचे।
सूत्रों की मानें तो शांता कुमार के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद मुख्यमंत्री चाहते थे कि टिकट उनके मित्र दूलो राम को मिले। सीएम ने इसके लिए हाईकमान के समक्ष अंत तक जोर लगाया लेकिन अंतिम वक्त पर शांता कुमार ने दूलो राम को किनारे कर किशन कपूर पर दांव खेल दिया। बैजनाथ में महिला सम्मेलन के दौरान सभी कार्यकर्ताओं को कुछ देर के लिए खड़ा करवाकर सीएम ने शांता कुमार को सम्मान दिया।
अपरोक्ष रूप से कांगड़ा की चुनावी बागडोर शांता को थमा दी गई है। शांता कुमार ने लोकसभा चुनावी शंखनाद के लिए बैजनाथ को चुना जहां से उन्होंने बतौर अध्यापक अपने करियर की शुरुआत की थी। इस पूरे सियासी घटनाक्रम में शांता चुनावी विदाई के बावजूद सियासी रण में किंगमेकर की भूमिका में दिख रहे हैं।
शांता कुमार ने कहा कि वे आखिरी दम तक पार्टी की सेवा में लगे रहेंगे। उन्होंने लोक सभा चुनावों में किशन कपूर को भारी मतों से विजयी बनाकर दिल्ली भेजने का आह्वान कार्यकर्ताओं से किया।
Report:-RUCHIKA
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