मंडी: साफ मौसम में खिसकी पहाड़ियां
हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो,(अजय) मंडी।
पद्धर चौहारघाटी के बरोट स्थित तरवाण गांव बुधवार को अचानक पहाड़ी दरक गई। इससे काफी मात्रा में मलबा ऊहल नदी में जा समाया। मलबे से थोड़ी देर के लिए नदी का बहाव रुक गया। इससे खतरे जैसे स्थिति पैदा होने का अंदेशा बनने लगा था लेकिन बाद में नदी के तेज बहाव से सामान्य रूप से पानी की निकासी शुरू हो गई। पहाड़ी दरकने से लाखों की वन संपदा तबाह हो गई। कई लोगों की मलकीयत व उपजाऊ भूमि भी इसकी जद में आ गई, जबकि किसी प्रकार का जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बरोट के समीप तरवाण गांव के नीचे पहाड़ी में ग्रामीणों ने मंगलवार शाम दरारें देखी थी। इसकी सूचना ग्रामीणों ने एसडीएम पद्धर को दी थी। मंगलवार शाम को यहां थोड़ा भूस्खलन जरूर हुआ था। बुधवार सुबह एकदम पूरा पहाड़ दरक गया। भूस्खलन से कायल सहित अन्य प्रजाति के करीब 100 पेड़ भी जमींदोज हो गए। जिस स्थान पर भूस्खलन हुआ है, उसकी विपरीत दिशा में एक निजी व्यवसायी ने ग्रामीणों से लीज पर जमीन लेकर कैंपिग साइट बनाई है। इसमें पर्यटकों की सुविधा के लिए कई टैंट आदि लगाए गए हैं। ऊहल नदी का बहाव रुकते ही यहां से सभी टैंट आदि हटा दिए गए।
भूस्खलन से किसानों की आलू की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। पहाड़ी के ठीक पीछे लोगों के मकान हैं। भूस्खलन के बाद पूरी ऊहल नदी मलबे के कारण मटमैली हो गई है। इससे नदी में ट्राउट मछलियां मरने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। पंचायत प्रधान रंजना ठाकुर ने कहा कि घटना में वन संपदा का सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कुछ ग्रामीणों की मलकीयत जमीन को भी नुकसान हुआ है।
ब्यूरो,(अजय) मंडी।
पद्धर चौहारघाटी के बरोट स्थित तरवाण गांव बुधवार को अचानक पहाड़ी दरक गई। इससे काफी मात्रा में मलबा ऊहल नदी में जा समाया। मलबे से थोड़ी देर के लिए नदी का बहाव रुक गया। इससे खतरे जैसे स्थिति पैदा होने का अंदेशा बनने लगा था लेकिन बाद में नदी के तेज बहाव से सामान्य रूप से पानी की निकासी शुरू हो गई। पहाड़ी दरकने से लाखों की वन संपदा तबाह हो गई। कई लोगों की मलकीयत व उपजाऊ भूमि भी इसकी जद में आ गई, जबकि किसी प्रकार का जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बरोट के समीप तरवाण गांव के नीचे पहाड़ी में ग्रामीणों ने मंगलवार शाम दरारें देखी थी। इसकी सूचना ग्रामीणों ने एसडीएम पद्धर को दी थी। मंगलवार शाम को यहां थोड़ा भूस्खलन जरूर हुआ था। बुधवार सुबह एकदम पूरा पहाड़ दरक गया। भूस्खलन से कायल सहित अन्य प्रजाति के करीब 100 पेड़ भी जमींदोज हो गए। जिस स्थान पर भूस्खलन हुआ है, उसकी विपरीत दिशा में एक निजी व्यवसायी ने ग्रामीणों से लीज पर जमीन लेकर कैंपिग साइट बनाई है। इसमें पर्यटकों की सुविधा के लिए कई टैंट आदि लगाए गए हैं। ऊहल नदी का बहाव रुकते ही यहां से सभी टैंट आदि हटा दिए गए।
भूस्खलन से किसानों की आलू की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। पहाड़ी के ठीक पीछे लोगों के मकान हैं। भूस्खलन के बाद पूरी ऊहल नदी मलबे के कारण मटमैली हो गई है। इससे नदी में ट्राउट मछलियां मरने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। पंचायत प्रधान रंजना ठाकुर ने कहा कि घटना में वन संपदा का सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कुछ ग्रामीणों की मलकीयत जमीन को भी नुकसान हुआ है।
NOTE:-विज्ञापन लगाने हेतु संपर्क करें 8354800009 या मेल करें himachalcrimenews@gmail.com
Report:-Puja Thakur
Himachal Crime News
HP Bureau
HP Bureau
Comments
Post a Comment