कभी बेटे की लाश देखने, कभी घायल पति को संभालने दौड़ती रही ज्योति
हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो
कलेजे का टुकड़ा दिल से अलग होकर मौत की गहरी नींद सो गया तो दूसरी तरफ हादसे में दोनों हाथ तुड़वा चुका पति स्ट्रेचर पर बेसुध पड़ा है। अपनी किस्मत को कोस रही अभागी मां और पत्नी को इस हालत में देख हर किसी की आंख नम हो गई। ऊना जिले के पंडोगा में श्रद्धालुओं से भरा टेंपो पलटने से पेश हुए दर्दनाक हादसे में कई श्रद्धालु बुरी तरह घायल हो गए जैसे ही घायलों का उपचार अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शुरू हुआ, तो पूरा अस्पताल परिसर चीख-पुकार से सिहर गया।
हादसे में मात्र डेढ़ साल के सर्वजोत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। उसके माता-पिता भी हादसे में बुरी तरह घायल हो गए। पिता की दोनों बाजुएं टूट गईं। बच्चे के शव को अस्पताल में ही एक स्ट्रेचर पर रखा था, जबकि इमरजेंसी में दूसरे स्ट्रेचर पर गंभीर रूप से घायल पड़ा था उसका पिता लखविंद्र।
शोर-शराबा और शरारतें करने की उम्र में कभी न खुलने वाली नींद में सोए बेटे सर्वजोत को उसकी मां ज्योति बिलख-बिलख कर जगाने का असफल प्रयास कर रही थी। मां की चीख पुकार से हर किसी का दिल पसीज गया। दूसरी ओर इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर बेबस पड़ा सर्वजोत का पिता लखविंद्र सिंह दोनों बाजुएं फ्रेक्चर होने के कारण लाडले को अंतिम समय गोद में लेने में असमर्थ दिखा। ज्योति की हालत ऐसी थी कि कभी वह एक स्ट्रेचर पर मृत बच्चे को दुलार रही थी तो कभी भाग कर घायल पति को संभालने का प्रयास कर रही थी। अस्पताल में मौजूद लोग ज्योति को सांत्वना देने का प्रयास तो कर रहे थे, लेकिन जिसका सब कुछ उजड़ चुका हो, उसे किसी भी सांत्वना से कोई हौसला नजर नहीं आया।
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कलेजे का टुकड़ा दिल से अलग होकर मौत की गहरी नींद सो गया तो दूसरी तरफ हादसे में दोनों हाथ तुड़वा चुका पति स्ट्रेचर पर बेसुध पड़ा है। अपनी किस्मत को कोस रही अभागी मां और पत्नी को इस हालत में देख हर किसी की आंख नम हो गई। ऊना जिले के पंडोगा में श्रद्धालुओं से भरा टेंपो पलटने से पेश हुए दर्दनाक हादसे में कई श्रद्धालु बुरी तरह घायल हो गए जैसे ही घायलों का उपचार अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शुरू हुआ, तो पूरा अस्पताल परिसर चीख-पुकार से सिहर गया।
हादसे में मात्र डेढ़ साल के सर्वजोत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। उसके माता-पिता भी हादसे में बुरी तरह घायल हो गए। पिता की दोनों बाजुएं टूट गईं। बच्चे के शव को अस्पताल में ही एक स्ट्रेचर पर रखा था, जबकि इमरजेंसी में दूसरे स्ट्रेचर पर गंभीर रूप से घायल पड़ा था उसका पिता लखविंद्र।
शोर-शराबा और शरारतें करने की उम्र में कभी न खुलने वाली नींद में सोए बेटे सर्वजोत को उसकी मां ज्योति बिलख-बिलख कर जगाने का असफल प्रयास कर रही थी। मां की चीख पुकार से हर किसी का दिल पसीज गया। दूसरी ओर इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर बेबस पड़ा सर्वजोत का पिता लखविंद्र सिंह दोनों बाजुएं फ्रेक्चर होने के कारण लाडले को अंतिम समय गोद में लेने में असमर्थ दिखा। ज्योति की हालत ऐसी थी कि कभी वह एक स्ट्रेचर पर मृत बच्चे को दुलार रही थी तो कभी भाग कर घायल पति को संभालने का प्रयास कर रही थी। अस्पताल में मौजूद लोग ज्योति को सांत्वना देने का प्रयास तो कर रहे थे, लेकिन जिसका सब कुछ उजड़ चुका हो, उसे किसी भी सांत्वना से कोई हौसला नजर नहीं आया।
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Report:-HCN Correspondent
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