शिमला की जलापूर्ति योजना गूगल मैप ड्रोन से तैयार, पानी की मुसीबत से निपटने के लिए नवीन प्रयोग
हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो शिमला। अंकित सेन
शिमला में शहर की जलापूर्ति योजना का गूगल मैप ड्रोन की मदद से तैयार किया गया है और इसे जीआईएस में परिवर्तित किया गया है. योजनाओं को चिन्हित कर इनके सवंर्धन का कार्य भी किया गया है.
राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आज शिमला शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी घर-घर पहुंच रहा है. शिमला शहर में प्रतिदिन 47 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और सप्ताह के अंत में 55 एमएलडी पानी, जिसकी सुचारु आपूर्ति की जा रही है.
बीते साल शिमला शहर में प्रतिदिन 18.19 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही थी, जबकि अब राज्य सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रतिदिन 50 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है.
ब्यूरो शिमला। अंकित सेन
शिमला में शहर की जलापूर्ति योजना का गूगल मैप ड्रोन की मदद से तैयार किया गया है और इसे जीआईएस में परिवर्तित किया गया है. योजनाओं को चिन्हित कर इनके सवंर्धन का कार्य भी किया गया है.
राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आज शिमला शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी घर-घर पहुंच रहा है. शिमला शहर में प्रतिदिन 47 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और सप्ताह के अंत में 55 एमएलडी पानी, जिसकी सुचारु आपूर्ति की जा रही है.
राष्ट्रीय मानकों के अनुसार 10 हजार की जनसंख्या के लिए पानी की जांच का महीने में एक बार नमूना लिया जाता है, लेकिन शिमला में प्रतिदिन 20 विभिन्न स्थानों से नमूने एकत्र कर उनकी जांच की जाती है. भण्डारण टैंकों की सुरक्षा और सफाई के लिए भी सभी मापदंडों को अपनाया जा रहा है.
साल में दो बार टैंकों की सफाई की जा रही है. टैंकों की तालाबंदी का भी खासा ख्याल रखा जा रहा है. नए पानी के कनेक्शन देने पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई गई है. शहर में 1489 नए पानी के कनेक्शन दिए गए हैं.
योजना2.10 करोड़ रुपये की लागत से बिछाई नई पाइप लाइन
जलापूर्ति के दौरान पानी की क्षति को रोकने के लिए क्रेगनैनो से ढली तक 7.2 किलोमीटर क्षेत्र में 8.50 करोड रुपये की लागत से और संजौली से ढली 2.25 किलोमीटर लंबी नई पाईप लाइन 2.10 करोड़ रुपये की लागत से बिछाई गई है. गुम्मा पंपिंग स्टेशन व जाखू, ढिंगुधार, कामनादेवी और नॉर्थओक के पुराने पंप बदले गए है. 14 किलोमीटर लंबी पुरानी पाईपों को बदलकर नई पाईपें बिछाई गईं.
इससे वितरण की हानि 5 प्रतिशत से अधिक कम करने में सफलता मिली. गुम्मा, गिरी व कोटी बरांडी में फिल्टरेशन प्रणाली को भी आधुनिक तकनीक के अनुरूप स्तरोन्नत किया गया है.
Comments
Post a Comment