हिमाचल क्राइम न्यूज़
ब्यूरो शिमला। क़ानूनी सहयोगी संवाददाता
सरकारी कर्मचारियों की समस्याओं की सुनवाई के लिए गठित प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने पर फैसले को लेकर प्रदेश सरकार अधर में फंस गई है। प्रदेश सरकार की ओर से लगातार ट्रिब्यूनल को बंद करने के संकेत के दिए जाने के बीच कुछ कर्मचारी संगठनों ने इसको लेकर नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि अगर ट्रिब्यूनल बंद होता है तो उन्हें अपने मामलों की सुनवाई के लिए प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।
इससे हाईकोर्ट में समय भी ज्यादा लगेगा और कर्मचारियों को भी परेशानी होगी। कर्मचारियों की नाराजगी को भांपते हुए प्रदेश सरकार ने फिलहाल ट्रिब्यूनल को बंद करने के फैसले को पेंडिंग में डाल दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार का एक धड़ा ट्रिब्यूनल को बंद करने के पक्ष में है।
उसका मानना है कि इसकी वजह से सरकार के आदेशों को लागू करने में परेशानी होती है। साथ ही अगर इसे बंद किया जाए तो सरकार का काफी खर्च भी बचेगा। हालांकि दूसरा धड़ा इसको लेकर संशय में है। यही वजह है कि ट्रिब्यूनल के दो सदस्यों की नियुक्ति के लिए इसी वर्तमान सरकार की ओर से चलाई गई प्रक्रिया को न तो बंद किया गया है और न ही आगे बढ़ाया जा रहा है।
चयन समिति की ओर से संभावित सदस्यों का नाम प्रस्तावित कर सरकार को भेज दिया गया है जिसे अब सरकार को केंद्र को भेजना है। लेकिन प्रदेश सरकार ने करीब एक महीने से इस फाइल को न तो वापस किया है और न ही केंद्र को भेजा है। शासन के सूत्रों के अनुसार चुनावी असर के डर से अब सरकार इस मामले में चुनाव खत्म होने के बाद सरकार फैसला लेगी।
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Report:-Legal Correspondent
Himachal Crime News
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